“बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह” एक लोकप्रिय हिंदी मुहावरा है, जो भारतीय समाज में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है।
परिचय: इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब बड़े और छोटे, दोनों ही व्यक्ति या समूह, अपने-अपने क्षेत्र में अद्भुत और प्रशंसनीय हों। यहाँ ‘बड़े मियाँ’ से तात्पर्य किसी वरिष्ठ या अनुभवी व्यक्ति से है, और ‘छोटे मियाँ’ से उनके जूनियर या कम अनुभवी व्यक्ति से।
अर्थ: इस मुहावरे का भावार्थ यह है कि जब बड़े और छोटे, दोनों ही अपनी-अपनी जगह पर उत्कृष्ट कार्य करते हैं, तो यह देखकर आश्चर्य और प्रशंसा होती है।
प्रयोग: इस मुहावरे का इस्तेमाल अक्सर तब होता है जब किसी परिवार, संस्था, या समूह में वरिष्ठ और जूनियर दोनों उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं।
उदाहरण:
-> क्रिकेट टीम में जहां कप्तान ने शतक बनाया, वहीं नए खिलाड़ी ने भी कमाल की बैटिंग की – “बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह”।
-> जब पिता ने अपने व्यवसाय में नए मानक स्थापित किए, तब उनके बेटे ने भी अपने नवीन विचारों से सबको प्रभावित किया – “बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह”।
निष्कर्ष: “बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि प्रतिभा और क्षमता किसी भी उम्र या अनुभव स्तर पर हो सकती है। यह हमें यह भी बताता है कि जब वरिष्ठ और जूनियर दोनों ही अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं, तो यह एक प्रेरणादायक दृश्य बनता है।
बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह मुहावरा पर कहानी:
एक छोटे से गाँव में, मुनीश नाम का एक प्रतिष्ठित उद्यमी रहता था। उनका छोटा बेटा, अभय, भी अपने पिता के व्यापार में हाथ बंटाने लगा था। मुनीश ने अपने अनुभव और ज्ञान से व्यापार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया था, और अब अभय नए विचारों और आधुनिक तकनीकों के साथ उसमें नई जान फूंक रहा था।
एक दिन गाँव में एक बड़ा व्यापार मेला आयोजित हुआ। मुनीश और अभय ने अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई। मुनीश ने अपने अनुभव के चलते उत्पादों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता के बारे में बताया, जबकि अभय ने नई तकनीकों और नवीनतम डिजाइनों का प्रदर्शन किया।
मेले में आए लोग मुनीश के अनुभव और अभय की नवीनता से बहुत प्रभावित हुए। एक वरिष्ठ व्यापारी ने कहा, “मुनीश जी तो हमेशा से ही अपने काम में उस्ताद रहे हैं, लेकिन देखिए उनके बेटे अभय ने भी कमाल कर दिया है। बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह!”
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जब अनुभव और नवीनता साथ मिल जाते हैं, तो वे अद्भुत परिणाम दे सकते हैं। इस मुहावरे से हमें यह संदेश मिलता है कि चाहे बड़े हों या छोटे, सभी की अपनी एक खासियत होती है, और जब ये दोनों एक साथ आते हैं, तो वे समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत बन जाते हैं।
शायरी:
बड़े मियाँ की बात निराली, छोटे मियाँ में भी कमाल है,
दोनों की अपनी-अपनी दास्तान, हर लफ्ज़ में सवाल है।
अनुभव की बातें जहाँ गहरी, नवीनता छोटे में भी झलकती है,
बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ भी कम नहीं होती है।
बुजुर्गों की सोच में ज्ञान की बातें, नए ख्यालों में नई उड़ान है,
दोनों का मेल जब होता है, तो सच में सुभान अल्लाह कहना बनता है।
बड़े की बातों में इतिहास के रंग, छोटे में भविष्य का आइना,
दोनों मिल जाए तो जहाँ में, बन जाता एक नया फसाना।
बड़े की दुनिया में समझदारी का ताज, छोटे में ख्वाबों का जोश है,
दोनों का संगम जब होता, तो जिंदगी में नई रोश है।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह – Bade miyan to bade miyan, Chote miyan subhan allah Idiom:
Introduction: The use of the idiom “बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह” occurs when both the senior and junior individuals or groups are remarkable and praiseworthy in their respective fields. ‘बड़े मियाँ’ refers to someone senior or experienced, while ‘छोटे मियाँ’ refers to their junior or less experienced counterpart.
Meaning: The essence of this idiom is that it is surprising and commendable when both seniors and juniors excel in their respective roles.
Usage: This idiom is commonly used when both senior and junior members of a family, institution, or group perform excellently.
Example:
-> In the cricket team, where the captain scored a century, the new player also played extraordinarily – “बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह.”
-> When the father established new standards in his business, his son also impressed everyone with his innovative ideas – “बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह.”
Conclusion: The idiom “बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह” teaches us that talent and capability can be present at any age or level of experience. It also tells us that when both seniors and juniors perform exceptionally in their fields, it creates an inspiring scenario.
Story of Bade miyan to bade miyan, Chote miyan subhan allah Idiom in English:
In a small village, there lived a renowned entrepreneur named Munish. His younger son, Abhay, had also started assisting in his father’s business. Munish had elevated the business to new heights with his experience and knowledge, and now Abhay was infusing new life into it with fresh ideas and modern technologies.
One day, a big trade fair was organized in the village. Munish and Abhay set up a display of their products. Munish, with his experience, spoke about the quality and reliability of the products, while Abhay showcased new technologies and the latest designs.
The visitors at the fair were highly impressed by Munish’s experience and Abhay’s innovation. A senior businessman commented, “Munish has always been a master in his work, but look at his son Abhay, he has also done wonders. Big Miyan is indeed big Miyan, but little Miyan is marvelous!”
This story teaches us that when experience and innovation come together, they can yield remarkable results. The idiom conveys the message that whether senior or junior, everyone has their own specialty, and when these two come together, they become a source of inspiration for society.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly
FAQs:
“बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह” मुहावरे की उत्पत्ति कैसे हुई?
इस मुहावरे की विशेष उत्पत्ति के बारे में ठोस जानकारी नहीं है, लेकिन यह सम्भवतः भारतीय समाज में वरिष्ठता और योग्यता के बीच के संबंधों और तुलनाओं से उपजा है।
क्या “बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह” मुहावरा सकारात्मकता को बढ़ावा देता है?
हां, यह मुहावरा सकारात्मकता और प्रतिभा की सराहना को बढ़ावा देता है, यह दिखाता है कि अनुभव और वरिष्ठता के बावजूद, छोटे या कम अनुभवी लोग भी असाधारण काम कर सकते हैं।
क्या यह मुहावरा अन्य संस्कृतियों में भी पाया जाता है?
हालांकि इस मुहावरे का सटीक अनुवाद या समकक्ष अन्य संस्कृतियों में नहीं मिल सकता है, लेकिन वरिष्ठता और योग्यता की तुलना करने वाली समानार्थी अवधारणाएँ विश्वभर की संस्कृतियों में मौजूद हैं।
क्या इस मुहावरे से नई पीढ़ी के लिए कोई प्रेरणा मिलती है?
हां, इस मुहावरे से नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है कि वे अपनी योग्यता और प्रतिभा पर भरोसा करें और वरिष्ठता या अनुभव के बावजूद उत्कृष्टता की ओर अग्रसर हों।
“बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह” मुहावरे से क्या सीख मिलती है?
इस मुहावरे से यह सीख मिलती है कि प्रत्येक व्यक्ति की अपनी विशेषताएं और क्षमताएं होती हैं, और हर किसी की अपनी योग्यता और प्रतिभा के लिए सम्मान होना चाहिए, चाहे वे वरिष्ठ हों या कनिष्ठ।
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