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बच्चा वही पहाड़ा बोलता है जो माँ सिखाती है अर्थ, प्रयोग (Bachcha wahi pahada bolta hai jo maan sikhati hai)

“बच्चा वही पहाड़ा बोलता है जो माँ सिखाती है” यह एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है, जिसका प्रयोग अक्सर भारतीय समाज और व्यावहारिक जीवन में किया जाता है।

परिचय: यह मुहावरा माता-पिता के प्रभाव और बच्चों के शिक्षा पर उनके प्रभाव को दर्शाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है कि बच्चे वही सीखते और दोहराते हैं जो उन्हें उनकी माँ या अभिभावक सिखाते हैं।

अर्थ: इस मुहावरे का भावार्थ यह है कि बच्चों का चरित्र और व्यवहार उनके पालन-पोषण और शिक्षा पर निर्भर करता है। माता-पिता और अभिभावक जो संस्कार और शिक्षा बच्चों को देते हैं, वही उनके व्यक्तित्व का आधार बनता है।

प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब बच्चों के व्यवहार या चरित्र में माता-पिता के प्रभाव को दर्शाना होता है। यह बताता है कि बच्चे अपने अभिभावकों से ही सीखते हैं।

उदाहरण:

-> अभय हमेशा सच बोलता है, क्योंकि उसकी माँ ने उसे यही सिखाया है – “बच्चा वही पहाड़ा बोलता है जो माँ सिखाती है”।

-> अनन्या के संस्कार और उसकी शिष्टता देखकर लगता है कि उसकी माँ ने उसे बहुत अच्छे तरीके से पाला है – “बच्चा वही पहाड़ा बोलता है जो माँ सिखाती है”।

निष्कर्ष: यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि बच्चों के विकास और शिक्षा में माता-पिता का योगदान महत्वपूर्ण होता है। बच्चे अपने अभिभावकों से जो सीखते हैं, वही उनके व्यक्तित्व की नींव बनती है। इसलिए माता-पिता का यह कर्तव्य बनता है कि वे अपने बच्चों को सही संस्कार और शिक्षा दें।

Hindi Muhavare Quiz

बच्चा वही पहाड़ा बोलता है जो माँ सिखाती है मुहावरा पर कहानी:

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बुद्धिमान और समझदार महिला रहती थी, जिसका नाम कुसुम था। कुसुम का एक बेटा था, नियांत, जो बहुत ही उत्सुक और जिज्ञासु था। कुसुम ने नियांत को बचपन से ही अच्छे संस्कार, ईमानदारी, और कड़ी मेहनत का महत्व सिखाया था।

नियांत हमेशा अपनी माँ की बातों को ध्यान से सुनता और उन्हें अपने जीवन में उतारता। वह गाँव के स्कूल में पढ़ता था और हर विषय में अव्वल आता था। उसकी यह उपलब्धि सिर्फ उसकी मेहनत की वजह से नहीं थी, बल्कि उसकी माँ द्वारा दिए गए संस्कारों का भी परिणाम थी।

एक दिन स्कूल में अध्यापक ने बच्चों से पूछा कि उन्होंने घर पर क्या सीखा है। नियांत ने उत्तर दिया कि उसने अपनी माँ से सीखा है कि हमेशा सच बोलना चाहिए और हर काम में मेहनत करनी चाहिए। उसके इस उत्तर से अध्यापक बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा, “बच्चा वही पहाड़ा बोलता है जो माँ सिखाती है।”

नियांत के इस व्यवहार और उत्तर से पूरे गाँव में यह संदेश फैल गया कि बच्चों का चरित्र और व्यवहार उनके पालन-पोषण पर निर्भर करता है। कुसुम और नियांत की कहानी ने सभी को यह सिखाया कि माता-पिता का अपने बच्चों के जीवन में योगदान कितना महत्वपूर्ण होता है। बच्चे जो देखते और सीखते हैं, वही उनके व्यक्तित्व का निर्माण करता है।

शायरी:

बच्चा वही पहाड़ा बोलता, जो माँ से सीखा करता है,

हर बात में उसका अक्स, माँ की शिक्षा का फर्ता है।

माँ की बातों में जो छुपा, वही संस्कार बनता है,

बच्चे के दिल में वही बात, हर पल गुंजित करता है।

माँ की ममता के आँचल में, जीवन के सबक मिलते हैं,

बच्चों के नन्हे कदमों में, उनकी राहें खिलते हैं।

जो माँ ने सिखाया है, वही तो बच्चा जानता है,

उसकी हर एक मुस्कान में, माँ का प्यार बसता है।

जिस तरह से बोई गई, वैसी ही फसल कटती है,

माँ के प्यार की बुनियाद पर, हर खुशी फलती है।

माँ की शिक्षा, माँ का प्यार, जीवन की बुनियाद है,

बच्चा वही पहाड़ा बोलता, जो माँ की बात याद है।

 

बच्चा वही पहाड़ा बोलता है जो माँ सिखाती है शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of बच्चा वही पहाड़ा बोलता है जो माँ सिखाती है – Bachcha wahi pahada bolta hai jo maan sikhati hai Idiom:

The Hindi idiom “बच्चा वही पहाड़ा बोलता है जो माँ सिखाती है” is a popular phrase often used in Indian society and practical life.

Introduction: This idiom highlights the influence of parents, especially mothers, on the education and upbringing of their children. Literally, it means that children learn and repeat what their mother or guardians teach them.

Meaning: The essence of this idiom is that the character and behavior of children depend on their upbringing and education. The values and education imparted by parents and guardians form the foundation of their personality.

Usage: This idiom is used when illustrating the influence of parents on the behavior or character of children. It indicates that children learn from their guardians.

Example:

-> Abhay always speaks the truth because that’s what his mother taught him – “A child recites only what the mother teaches.”

-> Looking at Ananya’s manners and politeness, it seems that her mother has raised her very well – “A child recites only what the mother teaches.”

Conclusion: This idiom teaches us that the contribution of parents is crucial in the development and education of children. What children learn from their guardians forms the foundation of their personality. Therefore, it is the duty of parents to provide the right values and education to their children.

Story of ‌‌Bachcha wahi pahada bolta hai jo maan sikhati hai Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, there lived a wise and intelligent woman named Kusum. Kusum had a son, Niyant, who was very curious and inquisitive. From his childhood, Kusum taught Niyant good values, honesty, and the importance of hard work.

Niyant always listened attentively to his mother’s words and applied them in his life. He studied in the village school and excelled in every subject. His success was not just due to his hard work but also a result of the values instilled in him by his mother.

One day, a teacher in the school asked the students what they had learned at home. Niyant replied that he learned from his mother to always speak the truth and to work hard in every task. The teacher was very pleased with his answer and said, “A child recites only what the mother teaches.”

Niyant’s behavior and response spread the message throughout the village that the character and behavior of children depend on their upbringing. The story of Kusum and Niyant taught everyone the importance of a parent’s role in their children’s lives. What children see and learn shapes their personality.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या यह मुहावरा केवल माँ पर ही लागू होता है?

हालांकि मुहावरे में माँ का उल्लेख है, लेकिन इसका अर्थ सभी अभिभावकों और पालन-पोषण करने वालों पर लागू होता है। यह माता-पिता दोनों के प्रभाव को दर्शाता है।

क्या इस मुहावरे का समाज पर कोई प्रभाव पड़ता है?

हां, यह मुहावरा समाज में पालन-पोषण और शिक्षा की महत्वता पर बल देता है, जो बच्चों के भविष्य और चरित्र निर्माण में निर्णायक होती है।

क्या इस मुहावरे का कोई समकालीन प्रसंग है?

जी हाँ, आधुनिक समय में भी यह मुहावरा प्रासंगिक है, क्योंकि यह बच्चों के विकास में पारिवारिक मूल्यों और शिक्षा की अहमियत को दर्शाता है।

“बच्चा वही पहाड़ा बोलता है जो माँ सिखाती है” मुहावरे का मूल क्या है?

इस मुहावरे का मूल संदेश यह है कि बच्चों का व्यवहार और संस्कार उन्हें जो शिक्षा और मार्गदर्शन मिलता है, उससे निर्धारित होता है।

इस मुहावरे का शैक्षिक क्षेत्र में क्या महत्व है?

शैक्षिक क्षेत्र में, यह मुहावरा शिक्षकों और माता-पिता को यह समझाने में मदद करता है कि बच्चों की अच्छी शिक्षा और सकारात्मक परवरिश कितनी अहम होती है।

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