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बात लाख की, करनी खाक की अर्थ, प्रयोग (Baat lakh ki, Karni khak ki)

परिचय: ‘बात लाख की, करनी खाक की’ एक लोकप्रिय हिंदी मुहावरा है, जो व्यक्तियों की बातों और करनी के बीच के अंतर को दर्शाता है। यह मुहावरा उन स्थितियों का वर्णन करता है जहां लोग बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन उनकी क्रियाएँ उन बातों के अनुरूप नहीं होतीं।

अर्थ: ‘बात लाख की, करनी खाक की’ का सीधा अर्थ है कि किसी व्यक्ति के शब्द और कार्यों में बड़ा अंतर होता है। जहाँ वह बहुत कुछ कहता है, लेकिन उसके काम उसके शब्दों की तुलना में बहुत कम महत्वपूर्ण या बेकार होते हैं।

प्रयोग: यह मुहावरा अक्सर उन व्यक्तियों के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है जो बड़े वादे करते हैं लेकिन उन्हें पूरा नहीं करते।

उदाहरण:

-> “राजनेता ने चुनाव से पहले बहुत वादे किए थे, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनका काम देखकर लगता है ‘बात लाख की, करनी खाक की’।”

-> “कंपनी के निदेशक ने बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स का दावा किया था, लेकिन उनकी कार्यनीति देखकर लगा ‘बात लाख की, करनी खाक की’।”

निष्कर्ष: ‘बात लाख की, करनी खाक की’ मुहावरा हमें सिखाता है कि केवल बातों से नहीं, बल्कि काम से महत्वपूर्णता सिद्ध होती है। यह मुहावरा उन लोगों की वास्तविकता को उजागर करता है जो केवल बड़ी बातें करते हैं लेकिन उन्हें कर्म में नहीं उतारते। यह हमें यह भी बताता है कि हमें अपने वादों और बातों को कर्म में परिवर्तित करना चाहिए।

बात लाख की, करनी खाक की मुहावरा पर कहानी:

एक गाँव में सुधीर नामक एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत ही वाक्पटु और प्रभावशाली था। गाँव के लोग उसकी बातों से बहुत प्रभावित होते थे, क्योंकि उसकी बातें हमेशा बड़ी और आशावादी होती थीं।

सुधीर ने एक दिन गाँव में एक सभा आयोजित की और वहां बड़े-बड़े वादे किए। उसने कहा कि वह गाँव में नया स्कूल, अस्पताल और पानी की सुविधाएं लाएगा। गाँव के लोग उसकी इन बातों से बहुत उत्साहित हुए और उसका समर्थन करने लगे।

लेकिन समय बीतने के साथ, गाँववालों ने देखा कि सुधीर के वादे सिर्फ शब्दों तक ही सीमित थे। उसकी बातें तो ‘लाख की’ थीं, लेकिन उसकी करनी ‘खाक’ थी। उसने अपने वादों के अनुसार कोई भी कार्य नहीं किया और गाँववालों को निराश किया।

इस कहानी के माध्यम से हम समझते हैं कि ‘बात लाख की, करनी खाक की’ मुहावरे का अर्थ है कि शब्दों और वादों का कोई महत्व नहीं होता, जब तक कि उन्हें कर्म में न उतारा जाए। यह मुहावरा हमें यह भी सिखाता है कि वादे करना आसान है, लेकिन उन्हें पूरा करना ही असली चुनौती होती है।

शायरी:

वादों की दुनिया में खोये, बातें लाखों की कर गए,

करनी में जब वक्त आया, खाक सी उड़ने लगे।

‘बात लाख की, करनी खाक की’, यह कहानी सबने सुनी,

वादे जिनके आसमानी, जमीन पर जब आए, बुनी।

वादों के बाजार में, हर शब्द जैसे हीरा होता,

करनी की धूप में जब आते, वो शब्द खाक सा रोता।

जिनकी बातें करती गूंज, उनकी करनी से पूछो तो,

‘बात लाख की, करनी खाक की’, जिंदगी का सच यही हो।

वादों की दुनिया में रहकर, सपने जो हम बुनते हैं,

करनी के पथ पर जब चलते, हकीकत से रूबरू होते हैं।

 

बात लाख की, करनी खाक की शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of बात लाख की, करनी खाक की – Baat lakh ki, Karni khak ki Idiom:

Introduction: ‘बात लाख की, करनी खाक की’ is a popular Hindi idiom that highlights the disparity between people’s words and actions. This idiom describes situations where people make grand statements, but their actions do not align with their words.

Meaning: The direct meaning of ‘बात लाख की, करनी खाक की’ is that there is a significant difference between a person’s words and actions. They may say a lot, but their deeds are much less significant or worthless compared to their words.

Usage: This idiom is often used in reference to individuals who make big promises but fail to fulfill them.

Example:

-> “The politician made many promises before the election, but after winning, his actions proved to be ‘बात लाख की, करनी खाक की’.”

-> “The director of the company claimed big projects, but looking at his strategy, it seemed like ‘बात लाख की, करनी खाक की’.”

Conclusion: The idiom ‘बात लाख की, करनी खाक की’ teaches us that importance is proven not just by words, but by actions. It reveals the reality of people who only talk big but do not implement it in their actions. It also tells us that we should transform our promises and words into actions.

Story of ‌‌Baat lakh ki, Karni khak ki Idiom in English:

In a village, there lived a man named Sudhir. He was very articulate and influential. The people of the village were greatly impressed by his words, as they were always grand and optimistic.

One day, Sudhir organized a meeting in the village and made big promises. He said he would bring a new school, hospital, and water facilities to the village. The villagers became very excited and started supporting him based on these words.

However, as time passed, the villagers realized that Sudhir’s promises were only limited to words. His talks were ‘worth a million’ but his actions were ‘worthless.’ He did not accomplish any of the tasks he had promised, leaving the villagers disappointed.

Through this story, we understand that the idiom ‘बात लाख की, करनी खाक की’ means that words and promises hold no value unless they are translated into actions. This idiom also teaches us that making promises is easy, but fulfilling them is the real challenge.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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