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बारह बाँट करना अर्थ, प्रयोग (Baarah baant karna)

परिचय: ‘बारह बाँट करना’ यह हिंदी मुहावरा उन परिस्थितियों में प्रयोग होता है जब कोई व्यक्ति अधिक लाभ या फायदा पाने के लिए धोखाधड़ी या छल का सहारा लेता है। यह विशेषकर तब इस्तेमाल होता है जब कोई व्यापार में या लेन-देन में बेईमानी करता है।

अर्थ: ‘बारह बाँट करना’ का अर्थ होता है किसी भी तरह से अधिक मुनाफा कमाने के लिए गलत तरीके अपनाना। यह मुहावरा उन लोगों पर लागू होता है जो अपने लाभ के लिए धोखाधड़ी, चालाकी या छल-कपट का इस्तेमाल करते हैं।

प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति व्यापार में या अन्य किसी लेन-देन में बेईमानी या धोखाधड़ी करता है। यह व्यक्ति के अनैतिक और गलत आचरण को दर्शाता है।

उदाहरण:

-> “विनीत ने अपने व्यापार में बारह बाँट करने की कोशिश की और ग्राहकों को धोखा दिया।”

-> “उस दुकानदार ने तोल में कमी करके बारह बाँट किया और ग्राहकों से ज्यादा पैसे लिए।”

निष्कर्ष: ‘बारह बाँट करना’ मुहावरा हमें यह सिखाता है कि धोखाधड़ी और बेईमानी करके लाभ कमाना न सिर्फ अनैतिक है, बल्कि यह दीर्घकालिक रूप से हमारी प्रतिष्ठा और विश्वास को भी क्षति पहुंचाता है। इसलिए हमें हमेशा नैतिकता और सत्यनिष्ठा के साथ कार्य करना चाहिए और छल-कपट से दूर रहना चाहिए। यह हमें ईमानदारी और नैतिकता के महत्व को समझाता है।

बारह बाँट करना मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से कस्बे में सुभाष नाम का एक व्यापारी रहता था। सुभाष की दुकान पर अनाज, दालें, और मसाले बिकते थे। वह अपनी दुकान में बहुत मेहनत करता था, लेकिन फिर भी उसे ज्यादा मुनाफा नहीं होता था।

एक दिन, सुभाष ने सोचा कि अगर वह तोल में थोड़ी हेराफेरी करे, तो उसे अधिक लाभ हो सकता है। उसने अपने तराजू में थोड़ा बदलाव किया और ग्राहकों को कम मात्रा में सामान देने लगा। इस तरह वह ‘बारह बाँट करने’ लगा।

शुरुआत में तो उसे अधिक मुनाफा होने लगा, लेकिन धीरे-धीरे ग्राहकों को इस बात का पता चलने लगा। ग्राहकों ने सुभाष की दुकान से सामान खरीदना बंद कर दिया। सुभाष की इस हरकत की वजह से उसकी प्रतिष्ठा को बहुत नुकसान पहुंचा और उसका व्यापार भी चौपट हो गया।

अंत में, सुभाष को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने समझा कि धोखाधड़ी और बेईमानी से कमाया गया लाभ केवल अस्थायी होता है और यह अंततः उसकी प्रतिष्ठा और भरोसे को नष्ट कर देता है। सुभाष ने फिर से ईमानदारी और नैतिकता के साथ अपने व्यापार को शुरू किया और धीरे-धीरे ग्राहकों का भरोसा वापस पाया।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ‘बारह बाँट करना’ यानी बेईमानी और छल कपट से कुछ भी हासिल करना न केवल गलत है, बल्कि यह हमारे व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में दीर्घकालिक हानि का कारण भी बनता है। ईमानदारी और नैतिकता ही सच्ची सफलता की कुंजी है।

शायरी:

बारह बाँट की चाल में, खो दिया विश्वास का सोना,

छल कपट की राह में, मिला ना सच का एक कोना।

जो मिला धोखे से, वो खुशियाँ नहीं, फिसलती रेत है,

सच्चाई की राह पर चल, क्योंकि वो ही तो सफलता की रेख है।

बाजार की इस रौनक में, जो बारह बाँट करता फिरा,

उसे क्या पता, वो अपनी ही नींव को खोखला करता फिरा।

छोटी सोच की बेड़ी में, बड़े सपने कैसे पलेंगे,

बिना ईमान के धरती पर, अच्छे दिन कैसे ढलेंगे।

धोखे की इस दुनिया में, सच की राह पर चलना कठिन है,

पर सच्चाई की जीत में, वो मिठास जो हर गम में भी रसीन है।

जो बारह बाँट से दूर रहा, वो ही तो जग में राज करेगा,

ईमानदारी की इस राह में, हर कदम पर वही सच्चा बाजीगर कहलाएगा।

 

बारह बाँट करना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of बारह बाँट करना – Baarah baant karna Idiom:

Introduction: The Hindi idiom ‘बारह बाँट करना’ is used in situations where an individual resorts to deceit or fraud to gain extra profit or advantage. This is particularly used when someone engages in dishonesty in business or transactions.

Meaning: The phrase ‘बारह बाँट करना’ means adopting wrongful methods to earn more profit by any means. This idiom is applicable to those who use deceit, cunning, or fraud for their own gain.

Usage: This idiom is employed when an individual practices dishonesty or fraud in business or other transactions. It represents unethical and wrongful behavior of a person.

Example:

-> “Vineet tried to ‘बारह बाँट करना’ in his business and deceived his customers.”

-> “That shopkeeper reduced the weight in measurement and ‘बारह बाँट करना’, charging customers more money.”

Conclusion: The idiom ‘बारह बाँट करना’ teaches us that earning profit through deceit and dishonesty is not only unethical but also harms our reputation and trust in the long run. Therefore, we should always work with ethics and integrity and stay away from deceit and fraud. This idiom highlights the importance of honesty and ethics.

Story of ‌‌Baarah baant karna Idiom in English:

In a small town, there was a merchant named Subhash. Subhash’s shop sold grains, pulses, and spices. He worked hard in his shop, but still, he didn’t make much profit.

One day, Subhash thought that if he tampered a little with the weighing scale, he could earn more profit. He made some adjustments to his scale and started giving less quantity to the customers. In this way, he began to ‘cheat in measurement.’

Initially, he started making more profit, but gradually the customers began to realize this. They stopped buying from Subhash’s shop. Subhash’s actions greatly damaged his reputation, and his business also suffered.

In the end, Subhash realized his mistake. He understood that the profit earned through deceit and dishonesty is only temporary and ultimately destroys one’s reputation and trust. Subhash restarted his business with honesty and ethics and gradually regained the trust of his customers.

This story teaches us that ‘cheating in measurement,’ i.e., gaining anything through dishonesty and deception, is not only wrong but also causes long-term harm in our personal and professional life. Honesty and ethics are the true keys to success.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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