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बाप का माल समझना अर्थ, प्रयोग (Baap ka maal samjhna)

परिचय: ‘बाप का माल समझना’ यह हिंदी मुहावरा अक्सर उन परिस्थितियों में प्रयोग किया जाता है जहां कोई व्यक्ति लापरवाही और अनुचित ढंग से संसाधनों का उपयोग करता है। इसका अर्थ होता है किसी चीज को अपने पिता की संपत्ति समझकर उसका अनादर करना या उसे बर्बाद करना।

अर्थ: इस मुहावरे का मूल भाव यह है कि जब कोई व्यक्ति संसाधनों को बिना महत्व दिए, बिना सोचे-समझे खर्च कर देता है, तो उसे ‘बाप का माल समझना’ कहा जाता है। यह अक्सर उन लोगों पर लागू होता है जो अपनी या दूसरों की संपत्ति को समझदारी से नहीं निभाते।

प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति धन, संसाधन या अन्य चीजों को लापरवाही से खर्च करता है। यह व्यक्ति की उस मानसिकता को दर्शाता है जहां उसे उस चीज की कोई कद्र नहीं होती जो उसे आसानी से मिल गई है।

उदाहरण:

-> “अमन हमेशा महंगी चीजें खरीदता है और फिर उन्हें ध्यान से नहीं रखता। वह हमेशा बाप का माल समझकर चीजों को बर्बाद कर देता है।”

-> “कंपनी के फंड्स का इस्तेमाल करते समय, उसने बाप का माल समझकर बेतहाशा खर्च किया।”

निष्कर्ष: ‘बाप का माल समझना’ मुहावरा हमें सिखाता है कि संसाधनों का सम्मान करना और उनका सोच-समझकर उपयोग करना चाहिए। यह मुहावरा हमें जागरूक करता है कि संसाधनों का दुरुपयोग न केवल व्यक्तिगत नुकसान का कारण बन सकता है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी हानिकारक है। इस प्रकार, यह मुहावरा हमें जिम्मेदारी और सावधानी का महत्व समझाता है।

बाप का माल समझना मुहावरा पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में नियांत नाम का एक लड़का रहता था। नियांत के पिता एक समृद्ध व्यापारी थे और उन्होंने नियांत को कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी।

नियांत को अपनी विलासिता और धन-संपत्ति पर बहुत घमंड था। वह अक्सर अपने दोस्तों के सामने अपनी महंगी चीजों का प्रदर्शन करता और बिना सोचे-समझे उन्हें खर्च कर देता। उसका यह व्यवहार देखकर गाँववाले उसे ‘बाप का माल समझने वाला’ कहते।

एक दिन नियांत के पिता ने उसे एक बहुत ही महंगी घड़ी उपहार में दी। नियांत ने उस घड़ी को अपने दोस्तों को दिखाने के लिए एक बड़ी पार्टी का आयोजन किया। पार्टी के दौरान, उसने बिना सोचे-समझे बहुत सारा पैसा खर्च कर दिया और अपनी नई घड़ी को भी लापरवाही से रख दिया।

पार्टी के बाद जब नियांत ने अपनी घड़ी ढूंढनी शुरू की, तो वह कहीं नहीं मिली। वह बहुत परेशान हुआ और अपने पिता के पास गया। उसके पिता ने उसे समझाया कि किसी भी चीज का मूल्य तब तक नहीं समझा जा सकता, जब तक उसे खो न दिया जाए। नियांत को तब अहसास हुआ कि उसने अपने पिता की संपत्ति का बहुत गलत इस्तेमाल किया था।

इस घटना के बाद, नियांत ने अपने व्यवहार में बदलाव किया और संसाधनों का सम्मान करने लगा। उसे समझ में आ गया था कि ‘बाप का माल समझना’ न सिर्फ व्यक्तिगत हानि का कारण बनता है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक रूप से भी हानिकारक है। इस कहानी के जरिए हमें यह सिखने को मिलता है कि हर चीज का मूल्य होता है और उसका सम्मान करना चाहिए।

शायरी:

जिनके ख्वाब थे आसमान से भी ऊंचे,

वो जमीं पे बिखरे बाप के माल समझकर।

खर्च किया जिसे बिन सोचे, बिना फिकर,

वक्त ने सिखाया हर चीज़ का है अपना मोल।

अर्जुन सी गलतियाँ, जिंदगी की राहों में,

खो दिया जिन्होंने खुद को बाप के माल समझकर।

जो मिला आसानी से, वह महत्व ना जाना,

अब हर पल का मोल, जिंदगी ने खुद सिखाया।

जोड़े थे सपने, आँखों में कितने अरमान,

बिखर गए सब, जब लापरवाही ने ली अंगड़ाई।

बाप का माल समझकर जो खेले थे खेल,

उन्हें वक्त ने सिखाया, हर खुशी का होता है मोल।

अब जिंदगी के हर मोड़ पे, याद रखूंगा यह सबक,

संजोकर रखूंगा हर चीज़, बाप के माल समझकर नहीं।

कीमती है हर एक पल, हर एक चीज़ की अपनी अहमियत,

जिंदगी की इस दौड़ में, ना बनूंगा मैं वो अर्जुन फिर।

 

बाप का माल समझना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of बाप का माल समझना – Baap ka maal samjhna Idiom:

Introduction: The Hindi idiom ‘बाप का माल समझना’ (considering it as one’s father’s property) is often used in situations where a person uses resources carelessly and inappropriately. It means disrespecting or wasting something considering it as one’s father’s property.

Meaning: The core essence of this idiom is that when a person spends resources without valuing them, without thought or consideration, it is referred to as ‘बाप का माल समझना’. This is often applicable to those who do not manage their own or others’ property wisely.

Usage: This idiom is used when a person spends money, resources, or other things carelessly. It reflects the mentality of a person who does not value something that has been easily acquired.

Example:

-> “Aman always buys expensive things and then does not take care of them. He always wastes things, thinking of them as his father’s property.”

-> “While using the company’s funds, he spent recklessly, as if it was his father’s property.”

Conclusion: The idiom ‘बाप का माल समझना’ teaches us to respect resources and to use them thoughtfully and responsibly. This idiom makes us aware that the misuse of resources can not only cause personal loss but can also be harmful socially and economically. Thus, this idiom teaches us the importance of responsibility and caution.

Story of ‌‌Baap ka maal samjhna Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, there lived a boy named Niyant. Niyant’s father was a wealthy merchant and never let Niyant lack anything.

Niyant was very proud of his luxury and wealth. He often showed off his expensive possessions in front of his friends and spent them thoughtlessly. Seeing his behavior, the villagers called him ‘the one who considers it his father’s property.’

One day, Niyant’s father gave him a very expensive watch as a gift. To show it off to his friends, Niyant organized a big party. During the party, he spent a lot of money carelessly and also carelessly placed his new watch somewhere.

After the party, when Niyant started looking for his watch, he couldn’t find it anywhere. He was very troubled and went to his father. His father explained that the value of anything cannot be understood until it is lost. Niyant then realized that he had misused his father’s property badly.

After this incident, Niyant changed his behavior and began to respect resources. He understood that ‘considering it as one’s father’s property’ not only causes personal loss but is also harmful socially and economically. This story teaches us that everything has value and should be respected.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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