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बाल की खाल निकालना, अर्थ, प्रयोग(Baal ki khaal nikalna)

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परिचय: ‘बाल की खाल निकालना’ एक प्रसिद्ध हिंदी मुहावरा है, जिसका उपयोग किसी विषय या बात पर अत्यधिक तर्क और विवाद करने के लिए किया जाता है।

अर्थ: किसी मामले में अत्यधिक विस्तार से या बिना जरूरत के विवाद करना, मीन-मेख निकालना।

उदाहरण: विशाल और विकास एक छोटी सी बात पर घंटों-घंटों तक बहस करते रहे। लोग कहते थे कि वे ‘बाल की खाल’ निकाल रहे हैं।

विवरण: कई बार हम देखते हैं कि लोग एक साधारण सी बात पर भी लंबी चौड़ी बहस करते हैं, जिससे वह बात और भी जटिल हो जाती है। ऐसी स्थितियों में, जब लोग एक अवश्यक तरीके से किसी छोटी सी बात पर ज़्यादा समय और ऊर्जा खर्च करते हैं, तो कहा जाता है कि वे ‘बाल की खाल निकल रहे हैं’।

इस मुहावरे का उपयोग कई बार उन लोगों के लिए किया जाता है जो अनावश्यक रूप से किसी विषय में गहरा अध्ययन या विवाद करते हैं, जबकि वह जरूरी नहीं होता।

आशा है कि आपको ‘बाल की खाल निकालना’ मुहावरे का अर्थ और प्रयोग समझ में आया होगा। ऐसी और जानकारियों के लिए, आप हमारी वेबसाइट budhimaan.com पर विजिट कर सकते हैं।

बाल की खाल निकालना मुहावरा पर कहानी:

अनुज और अभय दोनो अलग अलग कंपनी में काम करते थे। दोनों ने हाल ही में एक सम्मेलन में भाग लिया था जिसमें उन्हें एक नए प्रोजेक्ट को प्रस्तुत करना थी।

प्रस्तुतिकरण से पहले ही, अनुज ने अभय को उसकी टाई के रंग पर टिप्पणी की। अभय ने जवाब में अनुज की शर्ट के डिज़ाइन का मजाक उड़ाया। यह छोटी-छोटी बातों पर उनकी बहस शुरू हो गई।

जब सम्मेलन का समय आया, तो दोनों अब तक उस परियोजना की बजाय अपने कपड़ों पर बहस कर रहे थे। प्रस्तुतिकरण का समय होते-होते खत्म हो गया, और दोनों ने अपनी मुख्य परियोजना प्रस्तुत करने का अवसर गंवा दिया।

जब सम्मेलन समाप्त हो गया, तो एक वरिष्ठ व्यापारी ने दोनों को बुलाया और कहा, “तुम लोग वहाँ ‘बाल की खाल’ निकल रहे थे। जबकि तुम्हें अपनी परियोजना पर ध्यान देना चाहिए था।”

इस घटना से दोनों ने समझा कि अवश्यक विवाद में उलझकर, अधिक महत्वपूर्ण चीजें अनदेखी नहीं करनी चाहिए। अक्सर, हम छोटी बातों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और बड़ी और महत्वपूर्ण बातों को नकार देते हैं, जिससे हमें अधिक नुकसान होता है।

शायरी:

जिंदगी की राह में, हर मोड़ पर जो उलझन आये,

अवश्यक तारिकों में, बाल की खाल खोजते जाये।

जितनी बारीकी से, गहराइयों में निगाह डालते,

उतना ही खोते चले जाते, जीवन के वो पल प्यारे।

 

बाल की खाल निकालना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of बाल की खाल निकालना – Baal ki khaal nikalna Idiom:

Introduction: ‘Baal ki khaal nikalna’ is a famous Hindi idiom, which is used to describe the act of excessively arguing or debating on a subject or matter.

Meaning:  To delve into unnecessary details or to argue over trivial matters; nitpicking.

Examples: Vishal and Vikas argued over a minor issue for hours. People said they were “nitpicking” or, in Hindi, ‘Baal ki khaal nikal rahe hain’.

Description: Often, we see people engaging in prolonged debates over simple matters, making the issue even more complicated. In such situations, when people spend excessive time and energy on a topic unnecessarily, it is said that they are “nitpicking” or ‘Baal ki khaal nikal rahe hain’ in Hindi.

This idiom is frequently used for those who delve deep into a topic or debate unnecessarily, even when it’s not required.

Hopefully, you now understand the meaning and usage of the idiom ‘Baal ki khaal nikalna’. For more such insights, you can visit our website budhimaan.com.

Story of ‌‌Baal ki khaal nikalna Idiom in English:

Anuj and Abhay both worked in separate companies. They recently participated in a conference where they had to present a new project.

Even before the presentation, Anuj commented on the color of Abhay’s tie. In response, Abhay teased Anuj about the design of his shirt. This led to a debate over minor details.

When it was time for the conference, both were still arguing about their attire instead of focusing on the project. The time for the presentation came and went, and they missed the opportunity to present their primary project.

After the conference ended, a senior businessman called them over and said, “You two were ‘splitting hairs’ out there. You should have been focusing on your project.”

From this incident, both realized that one should not get caught up in unnecessary disputes and overlook more important matters. Often, we focus on minor details and neglect bigger, more significant issues, leading to greater losses.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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