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औसर चूकी डोमनी, गावे ताल बेताल अर्थ, प्रयोग (Ausar chuki domni, Gave taal Betal)

परिचय: “औसर चूकी डोमनी, गावे ताल बेताल” यह हिंदी की एक प्रसिद्ध कहावत है, जो अवसर के महत्व और समय पर कार्य न करने की स्थिति को दर्शाती है। इस कहावत का शाब्दिक अर्थ है कि जब कोई व्यक्ति सही समय पर अवसर का लाभ नहीं उठाता, तो बाद में वह अनुचित या असंगत कार्य करता है।

अर्थ: इस कहावत में ‘डोमनी’ एक गायिका को दर्शाता है जो सही समय पर ताल नहीं पकड़ पाई और फिर असंगत रूप से गाने लगी। इसका अर्थ है कि जीवन में सही समय पर सही कार्य न करने पर बाद में परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं रहतीं।

प्रयोग: यह कहावत विशेष रूप से उन स्थितियों में प्रयोग की जाती है जहाँ व्यक्ति सही समय पर उपलब्ध अवसरों का लाभ नहीं उठाता और बाद में पछताता है।

उदाहरण:

-> अनुभव ने जब नौकरी का अवसर खो दिया तो उसके दोस्त ने कहा, “औसर चूकी डोमनी, गावे ताल बेताल।”

-> गौरी ने जब अपनी पढ़ाई में ध्यान नहीं दिया और बाद में अच्छे अंक नहीं आए, तो उसके शिक्षक ने कहा, “औसर चूकी डोमनी, गावे ताल बेताल।”

निष्कर्ष: “औसर चूकी डोमनी, गावे ताल बेताल” कहावत हमें यह सिखाती है कि जीवन में जब भी अवसर आए, उसे सही समय पर पहचान कर उसका लाभ उठाना चाहिए। अन्यथा, हमें बाद में ऐसे कार्य करने पड़ सकते हैं जो हमारे लिए अनुकूल नहीं होंगे। यह कहावत हमें समय के महत्व और अवसरों को सही समय पर पहचानने की प्रेरणा देती है।

औसर चूकी डोमनी, गावे ताल बेताल कहावत पर कहानी:

एक बार की बात है, एक गाँव में गार्गी नाम की एक लड़की रहती थी। गार्गी बहुत ही प्रतिभाशाली थी और गाने में उसका कोई सानी नहीं था। एक दिन गाँव में एक बड़ा संगीत समारोह आयोजित होने वाला था, जहाँ बड़े-बड़े संगीतकार और गायक आने वाले थे। गार्गी को भी इस समारोह में गाने का अवसर मिला।

गार्गी ने सोचा कि उसे तो गाना आता ही है, इसलिए उसने समारोह के लिए कोई खास तैयारी नहीं की। जब समारोह का दिन आया, तो गार्गी बहुत आत्मविश्वास से मंच पर चढ़ी। लेकिन जैसे ही उसने गाना शुरू किया, उसे एहसास हुआ कि वह ताल से बाहर हो रही है। उसकी आवाज़ में वह मिठास और सुरीलापन नहीं था जिसके लिए वह जानी जाती थी। दर्शकों ने भी उसके प्रदर्शन को सराहा नहीं।

गार्गी मंच से उतरते हुए बहुत शर्मिंदा महसूस कर रही थी। उसके गुरु ने उसे समझाया, “गार्गी, तुमने अवसर को पहचाना नहीं और तैयारी में कोताही बरती। ‘औसर चूकी डोमनी, गावे ताल बेताल’। तुम्हें इस अवसर का पूरा लाभ उठाना चाहिए था।”

गार्गी ने अपने गुरु की बात समझी और फिर कभी अवसर को हल्के में नहीं लिया। उसने समझ लिया कि जीवन में जब भी अवसर आए, उसे पूरी तैयारी और लगन से ग्रहण करना चाहिए, अन्यथा पछताना पड़ सकता है।

इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि जीवन में मिले हर अवसर की कद्र करनी चाहिए और उसे खोने पर हमें अनुचित और असंगत कार्यों से बचना चाहिए।

शायरी:

जब औसर आए सामने, तो लो उसे गले,

वरना गाओगे ताल बेताल, जैसे चूकी डोमनी कले।

जिंदगी देती है अवसर, कभी न इसे खोना,

‘औसर चूकी डोमनी’, याद रखना, बाद में न होना रोना।

हर पल है कीमती, हर लम्हा है सोना,

जो चूक गए पल, तो समझो तुम खोना।

जिंदगी के मेले में, जब भी मिले खेलने को ढोल,

‘औसर चूकी डोमनी’ न बनना, गाना सही ताल में बोल।

तैयारी है जरूरी, जब मौका दे दस्तक दरवाजे पे,

वरना बाद में गाना पड़ेगा, ‘गावे ताल बेताल’ साजे पे।

 

औसर चूकी डोमनी, गावे ताल बेताल शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of औसर चूकी डोमनी, गावे ताल बेताल – Ausar chuki domni, Gave taal Betal proverb:

Introduction: “Ausar chuki domni, Gave taal Betal” is a famous Hindi proverb that illustrates the importance of opportunity and the consequences of not acting in time. This proverb literally means that when someone fails to seize the opportunity at the right moment, they later perform actions that are inappropriate or incongruous.

Meaning: In this proverb, ‘Domni,’ a singer, symbolizes someone who failed to catch the rhythm in time and then started singing off-key. It signifies that in life, failing to act correctly at the right moment leads to unfavorable circumstances later.

Usage: This proverb is specifically used in situations where a person fails to take advantage of available opportunities at the right time and later regrets it.

Example:

-> When Anubhav lost the job opportunity, his friend said, “Missed the opportunity and sang off-key.”

-> When Gauri didn’t pay attention to her studies and later did not get good marks, her teacher said, “Missed the opportunity and sang off-key.”

Conclusion: The proverb “Ausar chuki domni, Gave taal Betal” teaches us that whenever we are presented with an opportunity in life, we should recognize it at the right moment and take advantage of it. Otherwise, we may have to undertake actions later that are not favorable for us. This proverb motivates us to understand the importance of timing and to recognize opportunities at the right moment.

Story of ‌‌Ausar chuki domni, Gave taal Betal proverb in English:

Once upon a time, there lived a girl named Gargi in a village. Gargi was extremely talented and unmatched in singing. One day, a grand music festival was to be organized in the village, where renowned musicians and singers were expected to come. Gargi also got the opportunity to sing at this festival.

Gargi thought she knew how to sing well, so she did not prepare specially for the festival. When the day of the festival arrived, Gargi climbed onto the stage with great confidence. However, as soon as she started singing, she realized she was going off-beat. Her voice lacked the sweetness and melody she was known for. The audience did not appreciate her performance either.

Gargi felt very embarrassed as she stepped down from the stage. Her mentor explained to her, “Gargi, you did not recognize the opportunity and lacked in preparation. ‘Missed the opportunity and sang off-key.’ You should have fully utilized this opportunity.”

Gargi understood her mentor’s words and never took an opportunity lightly again. She learned that whenever an opportunity comes in life, it should be embraced with full preparation and dedication, otherwise, one might regret it.

This story teaches us that we should value every opportunity that life offers and avoid inappropriate and incongruous actions upon losing them.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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