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अशफाक उल्ला खान के कोट्स

अशफाक उल्ला खान के कोट्स – अशफाक उल्ला खान, एक नाम जो साहस, बलिदान और देश प्रेम के साथ गूंजता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख व्यक्तित्व थे। उनके विचार और दृष्टिकोण, विशेषकर युवा और नवाचार पर, अब तक पीढ़ियों को प्रेरित करते रहे हैं।

अशफाक उल्ला खान: युवाओं के लिए साहस और प्रेरणा का प्रकाशस्तंभ

  • “मैं अपने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर रहा हूं। मुझे इस पर गर्व है। मेरे रक्त की हर बूंद… इस देश के विकास में और इसे स्वतंत्र और शक्तिशाली बनाने में योगदान देगी,” उनकी स्वतंत्रता के कारण के प्रति अटल समर्पण को संक्षेपित करता है। यह उद्धरण उनके भाई को उनकी फांसी से पहले भेजे गए अंतिम पत्र में दर्ज किया गया था – अशफाक उल्ला खान1
    इस उद्धरण में, खान बड़े अच्छे काम के लिए बलिदान के महत्व को बल देते हैं। उन्होंने यह माना कि हर व्यक्ति का योगदान, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकता है। यह युवाओं के लिए एक शक्तिशाली संदेश है, जो उन्हें अपने देश के विकास और विकास में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • “हमें नवाचार करने की आवश्यकता है, प्रगति करने के लिए। हमारे देश को नई सोच, नई तरीके की आवश्यकता है, और युवा ही वे हैं जो इसे कर सकते हैं।” यह उद्धरण उनके एक भाषण से लिया गया था जो वे शाहजहांपुर में एक युवा सम्मेलन में दिए थे – अशफाक उल्ला खान2
    खान ने माना कि नवाचार प्रगति की कुंजी है। उन्होंने युवाओं को परिवर्तन के मशालधारक के रूप में देखा, जो नई सोच और तरीके लाकर देश को आगे बढ़ाने में सक्षम हैं। यह उद्धरण युवाओं के लिए क्रिया का आह्वान है, जो उन्हें नवाचार को अपनाने और अपने देश की प्रगति में योगदान करने के लिए उत्साहित करता है।

अशफाक उल्ला खान: एकता और स्वतंत्रता का प्रकाश स्तम्भ

  • “मैं अगर मर भी जाऊं तो कोई गम नहीं, काम तो बहुत है देश के लिए और लोग भी बहुत हैं।” – अशफाक उल्ला खान3
    यह उद्धरण, रेणु सारण की पुस्तक “अशफाकुल्ला खान: भुला दिया गया नायक” से लिया गया है, खान के भारत की स्वतंत्रता के प्रति निस्वार्थ समर्पण को सारांशित करता है। उन्होंने यह माना कि स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किसी भी व्यक्ति से बड़ा है, और अगर वह मर भी जाएं तो भी कई लोग हैं जो लड़ाई जारी रखेंगे। उनके शब्द उनकी सामूहिक एकता की गहरी भावना और जनसामान्य की शक्ति में विश्वास को दर्शाते हैं।
  • “हमें अपनी जिंदगी का एक ही मकसद बनाना चाहिए, वो है अपने देश की आजादी।”- अशफाक उल्ला खान4
    यह उद्धरण, एम.जी. अग्रवाल की पुस्तक “भारत के स्वतंत्रता सेनानी” में संदर्भित किया गया है, खान के भारत की स्वतंत्रता पर एकाग्रता को दर्शाता है। उन्होंने माना कि हर भारतीय को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के सामान्य लक्ष्य के तहत एकजुट होना चाहिए। यह विचार सामान्य लक्ष्य को प्राप्त करने में सामूहिक एकता के महत्व को रेखांकित करता है।
    अशफाकुल्ला खान के सामूहिक एकता पर विचार केवल शब्द नहीं थे; उन्होंने उन्हें जीने का तरीका बनाया। उन्हें 1927 में ब्रिटिश ने फांसी दी, लेकिन उनकी एकता और स्वतंत्रता की भावना आज भी जीवित है। उनके शब्द हमें प्रेरित करते रहते हैं, हमें एकता की शक्ति और सामान्य कारण के लिए साथ काम करने की महत्ता की याद दिलाते हैं।

अशफाक उल्ला खान: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एकता और बलिदान का प्रकाशस्तंभ

  • “मुझे गर्व है कि मैं एक भारतीय हूं। मैं अपने जीवन से अधिक अपने देश से प्यार करता हूं।” – “अशफाक उल्ला5
  • “मैं स्वतंत्रता का सैनिक हूं। मेरे रक्त की हर बूंद इस स्वतंत्रता के वृक्ष के विकास में योगदान देगी।” – “अशफाकुल्ला खान6
    खान ने खुद को भारत की स्वतंत्रता के संग्राम में एक सैनिक माना। उन्होंने यह माना कि हर बलिदान, उनके अपने जीवन सहित, स्वतंत्रता के कारण में योगदान करेगा। यह उद्धरण उनकी समर्पण और भारतीय स्वतंत्रता के कारण के प्रति उनकी समर्पण का शक्तिशाली प्रमाण है।
  • “इंकलाब जिंदाबाद!” – अशफाक उल्ला खान7
    “इंकलाब जिंदाबाद” एक वाक्यांश है जिसका उपयोग भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा आमतौर पर किया जाता था। इसका अनुवाद होता है “क्रांति दीर्घायु हो!” ये खान के अंतिम शब्द थे जब उन्हें ब्रिटिश द्वारा फांसी दी गई थी। यह उद्धरण उनकी स्वतंत्रता के कारण में अदम्य विश्वास और उसके लिए मरने की तत्परता को दर्शाता है।
  • “मैं हर राजनीतिक दल के पास एक भिखारी की तरह घूम रहा हूं… लेकिन किसी ने भी हमारे साथ इस राष्ट्रीय कार्य में सहयोग करने के लिए आगे नहीं बढ़ा।” – “अशफाक उल्ला खान8
    यह उद्धरण खान की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत की विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में एकता की कमी से उनकी निराशा को दर्शाता है। उन्होंने यह माना कि स्वतंत्रता के लिए संग्राम एक राष्ट्रीय कारण है जो राजनीतिक योगदान से परे है।

अशफाक उल्ला खान: भारत के स्वतंत्रता संग्राम की क्रांतिकारी आत्मा

  • “मुझे गर्व है कि मैं पहला भारतीय मुसलमान हूं जिसे अपने देश के कारण फांसी की सजा सुनाई गई है।” – “अशफाक उल्ला खान9
    यह उद्धरण खान के अपने देश के लिए बलिदान के प्रति अपार गर्व को दर्शाता है। कठोर सजा के बावजूद, वह स्वतंत्रता के कारण के प्रति अटल रहे। मौत की संभावना ने उन्हें नहीं डराया, बल्कि उन्होंने इसे अपने देश की बड़ी भलाई के लिए आवश्यक बलिदान के रूप में स्वीकार किया। यह उद्धरण उनकी मुसलमान पहचान को भी उजागर करता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि स्वतंत्रता के संग्राम में सभी धार्मिक सीमाओं को पार करके एकजुटता थी।

खान द्वारा एक और महत्वपूर्ण उद्धरण है:

  • “क्रांति मानवता का अविलुप्त अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का अक्षय जन्मसिद्ध अधिकार है।” – “अशफाकुल्ला खान10
    इस उद्धरण में, खान हर व्यक्ति के उत्पीड़न के खिलाफ विद्रोह करने और स्वतंत्रता की खोज करने का मौलिक अधिकार का दावा करते हैं। उन्होंने यह माना कि क्रांति सिर्फ एक साधन नहीं है, बल्कि एक मौलिक अधिकार है जिसे छीना नहीं जा सकता। यह विश्वास HRA की क्रांतिकारी गतिविधियों में उनकी भागीदारी के पीछे का प्रमुख बलवान था। उनका ‘अक्षय जन्मसिद्ध अधिकार’ के रूप में स्वतंत्रता का दृष्टिकोण उनकी आस्था को महत्वपूर्ण करता है कि कोई भी शक्ति व्यक्तियों की स्वतंत्रता को नकारने का अधिकार नहीं है।

अशफाक उल्ला खान: एकता और बलिदान की मिशाल

  • “मैं एक भारतीय होने पर गर्व करता हूं। मैं भारतीय राष्ट्रीयता की अविभाज्य एकता का हिस्सा हूं। मैं इस उच्चकोटि की इमारत के लिए अपरिहार्य हूं और बिना मुझे भारत की यह शानदार संरचना अधूरी है। मैं एक आवश्यक तत्व हूं, जिसने भारत का निर्माण किया है। मैं कभी भी इस दावे को समर्पण नहीं कर सकता।” – “अशफाक उल्ला खान11
    यह उद्धरण खान के देश प्रेम और भारत की एकता में विश्वास को दर्शाता है। वह राष्ट्र के निर्माण में हर व्यक्ति, यहां तक कि मुसलमानों की महत्वता को बल देते हैं। वह जताते हैं कि हर नागरिक, उनके धर्म के बावजूद, देश और उसके स्वतंत्रता संघर्ष का अभिन्न हिस्सा है।
  • “मेरा केवल एक ही धर्म है और वह है भारत का धर्म। मैं एक ईश्वर में विश्वास करता हूं जो सभी धर्मों का ईश्वर है। मैं एक धर्म में विश्वास करता हूं जो स्वतंत्रता, समानता, और भाईचारा सिखाता है।” – “अशफाक उल्ला खान12
    इस उद्धरण में, खान सभी धर्मों की एकता और उनके साझे मूल्यों में अपने विश्वास को व्यक्त करते हैं। वह बल देते हैं कि उनका केवल एक ही धर्म है और वह है भारत का धर्म, जो उनकी सबसे ऊपर राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता को सूचित करता है। यह उद्धरण उनके स्वतंत्रता, समानता, और भाईचारा के सिद्धांतों में विश्वास को भी उजागर करता है, जो एक लोकतांत्रिक समाज के कोने की पत्थर हैं।
  • “मैं पहले एक भारतीय हूं और फिर एक मुसलमान। मेरा देशभक्ति मेरा धर्म है।” – “अशफाक उल्ला खान13
    यह उद्धरण खान के धार्मिक पहचान के ऊपर उनकी राष्ट्रीय पहचान की प्राथमिकता को उजागर करता है। वह जताते हैं कि उनका देश प्रेम उनका सच्चा धर्म है। यह बयान भारतीय मुसलमानों की स्वतंत्रता संघर्ष में भूमिका की शक्तिशाली याद दिलाता है, ना की मुसलमानों के रूप में, बल्कि पहले भारतीयों के रूप में।

अशफाक उल्ला खान: एकता और संघर्ष की झिलमिलाहट

  • “मुझे गर्व है कि मैं एक भारतीय हूं। मैं अपने जीवन से अधिक अपने देश से प्यार करता हूं।” – “अशफाक उल्ला खान14
    यह उद्धरण अशफाकुल्ला खान के देश के प्रति गहरे प्यार और देशभक्ति को दर्शाता है। वह भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन बलिदान करने के लिए तैयार थे, जो उनके स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने की प्रेरणा थी। उनका देश के प्रति प्यार केवल एक भावना नहीं थी, बल्कि एक आस्था थी जिसने उनके कार्यों को मार्गदर्शन किया।
  • “अगर कार्य नहीं हुआ, तो जीने की बजाय मरना बेहतर है।” – अशफाक उल्ला खान15
    यह उद्धरण अशफाकुल्ला खान के संकल्प और भारत की स्वतंत्रता के कारण के प्रति समर्पण को संक्षेप में दर्शाता है। उन्होंने माना कि अगर वे स्वतंत्रता संग्राम में योगदान नहीं कर सकते, तो उनका जीवन अर्थहीन होगा। यह विचार उनके अटल संकल्प और उनके विश्वास के लिए मृत्यु को स्वीकार करने की तैयारी को दर्शाता है।
  • “हम भारतीय हैं, पहले और अंत में।” – “अशफाक उल्ला खान16
    यह उद्धरण अशफाकुल्ला खान के एकता और समरसता में विश्वास का शक्तिशाली बयान है। भारतीय जनसंख्या के विविध धार्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों के बावजूद, उन्होंने माना कि सभी को पहले भारतीय ही मानना चाहिए। यह विचार उनके एक एकीकृत भारत के दृष्टिकोण का प्रमाण है, जो ब्रिटिश शासन की बेड़ियों से मुक्त है।

अशफाक उल्ला खान: देशभक्ति और बलिदान की एक मिशाल

  • खान का सबसे प्रसिद्ध उद्धरण है, “मैं अपने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर रहा हूं। मेरे पास न तो कोई दुःख है, न ही कोई पश्चाताप।” – “अशफाक उल्ला खान17
    यह उद्धरण खान की गहरी देशभक्ति और अपने देश की आजादी के लिए अपना जीवन बलिदान करने की तत्परता को दर्शाता है। उन्हें मौत से डर नहीं था, न ही उन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ लड़ने के अपने निर्णय पर पश्चाताप किया। उनके शब्द भारतीय स्वतंत्रता के मुद्दे के प्रति उनकी अटल समर्पण का प्रमाण हैं।
  • खान का एक और गहरा उद्धरण है, “अगर अपराध यह है कि मैंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया है, तो मैं अपराधी हूं।” – “अशफाक उल्ला खान18
    यह उद्धरण काकोरी ट्रेन डकैती में उनकी भागीदारी के लिए उनकी याचिका के दौरान दिया गया था, जो अंग्रेज सरकार के खिलाफ एक क्रांतिकारी कार्य था। खान के शब्द उनके कार्यों में उनके गर्व और स्वतंत्रता की लड़ाई में अपनी भूमिका के लिए किसी भी सजा को स्वीकार करने की तत्परता को दर्शाते हैं। उन्होंने अपनी स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी को अपराध नहीं, बल्कि अपने देश के प्रति एक कर्तव्य माना।
  • “मैं इस बात पर गर्व करता हूं कि मैं पहला भारतीय मुसलमान हूं जिसे अपने देश के प्यार के लिए मौत की सजा सुनाई गई है।”अशफाक उल्ला खान19
    यह उद्धरण खान के देश के लिए अपने बलिदान पर उनके गर्व को दर्शाता है। मुसलमान होने के बावजूद, उन्होंने धर्म को अपने देश से प्यार के बीच में नहीं आने दिया। वह इस बात पर गर्व करते थे कि वे स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका के लिए मौत की सजा सुनाने वाले पहले भारतीय मुसलमान थे। उनके शब्द यह याद दिलाते हैं कि देश प्रेम धार्मिक सीमाओं को पार करता है।

अशफाक उल्ला खान: सामाजिक न्याय और समानता के मशालबाज

  • “इंकलाब जिंदाबाद! जब मैंने फांसी के फंदे को चुमा, वह मेरे जीवन का सबसे खुशनुमा क्षण था।” – ” अशफाक उल्ला खान”20
    व्याख्या: यह उद्धरण खान की स्वतंत्रता के कारण के प्रति अडिग समर्पण को दर्शाता है। वह देश के लिए अपनी जान की आहुति देने के लिए तैयार थे, और उन्होंने इसे खुशी और पूर्णता की भावना के साथ किया। उनके शब्द उनके समानता में विश्वास को भी रेखांकित करते हैं – वह किसी भी धर्म या सामाजिक स्थिति के बावजूद किसी भी अन्य स्वतंत्रता सेनानी के समान भाग्य का सामना करने के लिए तैयार थे।
  • “मैं इस बात पर गर्व करता हूं कि मैं पहला भारतीय मुसलमान हूं जिसे भारत की स्वतंत्रता के लिए फांसी की सजा सुनाई गई है।” – “अशफाक उल्ला खान21
    व्याख्या: खान के यहां के शब्द उनके स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने पर गर्व को उजागर करते हैं, उनकी धार्मिक पहचान के बावजूद। वह सामाजिक न्याय और समानता में दृढ़ विश्वासी थे, और उन्होंने अपनी सजा को इन आदर्शों के प्रति अपनी समर्पण का प्रमाण माना। उनका बयान यह भी दर्शाता है कि धर्म अपने देश के लिए लड़ने में बाधा नहीं होना चाहिए।
  • “मैं स्वतंत्रता का सैनिक हूं। मेरे रक्त की हर बूंद इस स्वतंत्रता के पेड़ की वृद्धि में योगदान देगी।” – “अशफाक उल्ला खान22
    व्याख्या: यह उद्धरण खान के स्वतंत्रता के सामूहिक संग्राम में विश्वास को दर्शाता है। उन्होंने खुद को एक बड़े आंदोलन का हिस्सा माना, जहां हर व्यक्ति का योगदान मायने रखता था। उनके शब्द उनके समानता में विश्वास को भी रेखांकित करते हैं – उन्होंने हर स्वतंत्रता सेनानी की बलिदान को स्वतंत्रता की लड़ाई में समान रूप से महत्वपूर्ण माना।
  • “हम सभी एक ही मातृभूमि के बच्चे हैं। हमें देश की बड़ी हित में अपने व्यक्तिगत अंतरों को दबाना चाहिए।” – “अशफाक उल्ला खान23
    व्याख्या: खान के यहां के शब्द उनके एकता और समानता में विश्वास को दर्शाते हैं। उन्होंने यह माना कि सभी भारतीय, उनके धर्म, जाति, या सामाजिक स्थिति के बावजूद, समान हैं और देश की स्वतंत्रता के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उनका बयान उनके सामाजिक न्याय में विश्वास को भी दर्शाता है – उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम को एक सामूहिक प्रयास माना, जहां सभी का योगदान समान रूप से महत्वपूर्ण था।

अशफाक उल्ला खान: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एकता और बलिदान का प्रकाशस्तंभ

  • “मुझे गर्व है कि मैं एक भारतीय हूं। मैं अपने जीवन से अधिक अपने देश से प्यार करता हूं,” उनके मातृभूमि के प्रति गहरे प्यार और समर्पण को संक्षेपित करता है। यह उद्धरण उनके भाई को उनके फांसी से पहले लिखे गए अंतिम पत्र से लिया गया था – “अशफाक उल्ला खान”24
    इस उद्धरण में, खान भारत के प्रति अपने अटल प्यार की अभिव्यक्ति करते हैं, जो उनके स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के पीछे का प्रमुख बलवान था। वह अपने देश के प्यार के लिए अपना जीवन बलिदान करने के लिए तैयार थे, जो उनकी गहरी देशभक्ति का प्रमाण है।
  • “मैं स्वतंत्रता का सैनिक हूं। मेरे रक्त की हर बूंद इस स्वतंत्रता के पेड़ की वृद्धि में योगदान देगी।” यह उद्धरण उनके काकोरी षड्यंत्र मुकदमे में दिए गए भाषण से लिया गया था – अशफाक उल्ला खान25
    इस उद्धरण में, खान स्वतंत्रता संग्राम को एक पेड़ के रूप में संकेतिक रूप से संदर्भित करते हैं। उन्होंने यह माना कि हर बलिदान, उनके अपने जीवन सहित, इस पेड़ की वृद्धि में योगदान देगा, जो स्वतंत्रता संग्राम की प्रगति का प्रतीक है। उनके शब्द उनकी स्वतंत्रता के मुद्दे के प्रति अटल समर्पण और अंतिम बलिदान करने की तैयारी को दर्शाते हैं।
  • “हिन्दू और मुसलमान हिंदुस्तान की सुंदर दुल्हन की दो आँखें हैं। उनमें से किसी एक की कमजोरी दुल्हन (देश) की सुंदरता को खराब कर देगी।” यह उद्धरण उनके शाहजहांपुर में संयुक्त भारत भवन में दिए गए भाषण से लिया गया था – “अशफाक उल्ला खान26
    इस उद्धरण में, खान भारत की प्रगति और समृद्धि के लिए हिन्दू-मुस्लिम एकता की महत्ता को बल देते हैं। उन्होंने माना कि भारत की शक्ति उसके विविध समुदायों की एकता में है। उनके शब्द देश के समग्र विकास के लिए साम्प्रदायिक सद्भाव की आवश्यकता की याद दिलाते हैं।

अशफाक उल्ला खान: साहस और देशभक्ति का प्रकाश स्तम्भ

  • “मैं अपने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर रहा हूं। मेरे पास अपने जीवन की कोई चिंता नहीं है और मौत से कोई डर नहीं।” – अशफाक उल्ला खान
    यह उद्धरण खान की अजेय आत्मा और अपने देश की आजादी के लिए अपना जीवन बलिदान करने की तत्परता को दर्शाता है। उन्हें मौत से कोई डर नहीं था, और उनकी एकमात्र चिंता भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्ति थी। उनके शब्द उनके साहस और देशभक्ति का प्रमाण हैं, जो पीढ़ियों को अपने अधिकारों के लिए खड़ा होने और दमन के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
  • “अगर फांसी की फंदी मेरे देश को स्वतंत्रता दिला सकती है, तो यह मेरे लिए सबसे सुंदर हार है।” – अशफाक उल्ला खान27
    यह उद्धरण खान ने अपनी फांसी से पहले कहा था। यह उनके देश के प्रति गहरे प्यार और अगर इसका मतलब भारत की स्वतंत्रता हो, तो मौत को स्वीकार करने की इच्छा को दर्शाता है। ‘हार’ यहां फांसी की फंदी का प्रतीक है, जिसे उन्होंने सम्मान का प्रतीक, अपनी मातृभूमि के लिए बलिदान माना। उनके शब्द उनकी निस्वार्थता और भारतीय स्वतंत्रता के मुद्दे के प्रति समर्पण को दर्शाते हैं।
  • “मैं इस बात पर गर्व करता हूं कि मैं एक भारतीय हूं। मैं अपनी मौत के बाद भी ब्रिटिश के खिलाफ अपना युद्ध जारी रखूंगा।” – अशफाक उल्ला खान28
    यह उद्धरण खान की भारतीय स्वतंत्रता के मुद्दे के प्रति अटल समर्पण को संक्षेप में दर्शाता है। वह अपनी भारतीय पहचान पर गर्व करते थे और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने का संकल्प था, चाहे वह उनकी मौत के बाद ही क्यों न हो। उनके शब्द देशभक्ति और स्वतंत्रता की निरंतर खोज की भावना को प्रेरित करते हैं, हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों की याद दिलाते हैं।
  • “मैं स्वतंत्रता का सैनिक हूं। मेरे रक्त की हर बूंद इस स्वतंत्रता के पेड़ की वृद्धि में योगदान देगी।” – अशफाक उल्ला खान29
    इस उद्धरण में, खान ने खुद को स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले सैनिक के समान बताया। उन्होंने यह माना कि उनका बलिदान, ‘रक्त की बूंद’ द्वारा प्रतीकित, ‘स्वतंत्रता के पेड़’ की वृद्धि में योगदान देगा। उनके शब्द भारत की स्वतंत्रता के लिए अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए संघर्ष और बलिदान के लिए एक शक्तिशाली उपमा हैं।

संदर्भ:

  1. भारत के स्वतंत्रता संग्राम के भुले बिसरे नायक” राकेश अंकित द्वारा ↩︎
  2. “अशफाक उल्ला खान: एक क्रांतिकारी का जीवन” एस. इरफान हबीब द्वारा ↩︎
  3. सारण, र. (2014). अशफाक उल्ला खान: भुला दिया गया नायक. डायमंड पॉकेट बुक्स प्रा. लि. ↩︎
  4. अग्रवाल, एम.जी. (2008). भारत के स्वतंत्रता सेनानी. ईशा बुक्स. ↩︎
  5. “अशफाक उल्ला खान: भूले बिसरे नायक” रेणु सरण द्वारा ↩︎
  6. “अशफाक उल्ला खान: भूले बिसरे नायक” रेणु सरण द्वारा ↩︎
  7. अशफाक उल्ला खान के अंतिम शब्द ↩︎
  8. “अशफाक उल्ला खान: भूले बिसरे नायक” रेणु सरण द्वारा ↩︎
  9. “अशफाक उल्ला खान: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का भुला हुआ हीरो” राकेश कृष्णन सिंहा, 2018 ↩︎
  10. “अशफाक उल्ला खान: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का भुला हुआ हीरो” राकेश कृष्णन सिंहा, 2018 ↩︎
  11. “अशफाक उल्ला खान: भुला दिया गया नायक” राकेश भटनागर द्वारा ↩︎
  12. “अशफाक उल्ला खान: भुला दिया गया नायक” राकेश भटनागर द्वारा ↩︎
  13. “अशफाक उल्ला खान: भुला दिया गया नायक” राकेश भटनागर द्वारा ↩︎
  14. “अशफाक उल्ला खान: भुला दिया गया नायक” रेणु सरण द्वारा ↩︎
  15. “अशफाक उल्ला खान: भुला दिया गया नायक” रेणु सरण द्वारा ↩︎
  16. “अशफाक उल्ला खान: भुला दिया गया नायक” रेणु सरण द्वारा ↩︎
  17. “अशफाक उल्ला खान: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का भुला हुआ नायक” राकेश कृष्णन सिंहा, 2018 ↩︎
  18. “अशफाक उल्ला खान: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का भुला हुआ नायक” राकेश कृष्णन सिंहा, 2018 ↩︎
  19. “अशफाक उल्ला खान: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का भुला हुआ नायक” राकेश कृष्णन सिंहा, 2018 ↩︎
  20. “भुला दिया गया शहीद: अशफाक उल्ला खान” राकेश कृष्णन द्वारा ↩︎
  21. “अशफाक उल्ला खान: भुला दिया गया नायक” एस. इरफान हबीब द्वारा ↩︎
  22. “अशफाक उल्ला खान: भुला दिया गया नायक” एस. इरफान हबीब द्वारा ↩︎
  23. “अशफाक उल्ला खान: भुला दिया गया नायक” एस. इरफान हबीब द्वारा ↩︎
  24. “अशफाक उल्ला खान का अंतिम पत्र,” भारतीय राष्ट्रीय संग्रहालय ↩︎
  25. “काकोरी षड्यंत्र: एक इतिहास,” एस. के. गुप्ता द्वारा ↩︎
  26. “अशफाक उल्ला खान: एकता के लिए एक शहीद,” आर. पी. सक्सेना द्वारा ↩︎
  27. “अशफाक उल्ला खान: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का भुला हुआ नायक” राकेश कृष्णन सिम्हा द्वारा ↩︎
  28. “अशफाक उल्ला खान: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का भुला हुआ नायक” राकेश कृष्णन सिम्हा द्वारा ↩︎
  29. “अशफाक उल्ला खान: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का भुला हुआ नायक” राकेश कृष्णन सिम्हा द्वारा ↩︎

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