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अर्श से फर्श तक अर्थ, प्रयोग(Arsh se farsh tak)

परिचय: “अर्श से फर्श तक” यह मुहावरा भारतीय साहित्य और बोलचाल की भाषा में अक्सर प्रयोग होता है। इस मुहावरे का प्रयोग उस स्थिति को व्यक्त करने के लिए किया जाता है जब किसी की स्थिति बहुत ऊंचाई से गिरकर निम्नतम स्तर पर पहुँच जाती है।

अर्थ: “अर्श” का अर्थ है आसमान या उच्चतम स्थान, और “फर्श” का अर्थ है जमीन या निम्नतम स्थान। इस प्रकार, “अर्श से फर्श तक” का अर्थ है किसी की स्थिति का अत्यंत उच्च स्तर से निम्नतम स्तर तक पहुँच जाना।

प्रयोग: यह मुहावरा आमतौर पर तब प्रयोग किया जाता है जब किसी की समृद्धि या प्रतिष्ठा में अचानक और तीव्र गिरावट आती है।

उदाहरण:

-> एक समय में व्यापारिक जगत के शिखर पर रहने वाले उस उद्योगपति का हाल देखकर लोग कहते हैं कि वह “अर्श से फर्श तक” पहुँच गया।

-> उस अभिनेत्री का करियर जिस तेजी से आसमान छू रहा था, उसी तेजी से “अर्श से फर्श” पर आ गिरा।

निष्कर्ष: “अर्श से फर्श तक” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं और कोई भी सफलता या स्थिति स्थायी नहीं होती। यह मुहावरा हमें विनम्रता और यथार्थवादिता का महत्व भी सिखाता है। अतः, इसका प्रयोग जीवन की अनिश्चितता और गतिशीलता को दर्शाने में किया जाता है।

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अर्श से फर्श तक मुहावरा पर कहानी:

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में सुभाष नाम का एक किसान रहता था। सुभाष बहुत मेहनती और ईमानदार था। उसकी मेहनत का फल उसे मिला और धीरे-धीरे वह अमीर हो गया।

सुभाष की संपत्ति और ख्याति में इतनी बढ़ोतरी हुई कि वह गाँव का सबसे धनी व्यक्ति बन गया। लोग उसकी सफलता की कहानियाँ सुनाते और उसे बहुत सम्मान देते। लेकिन समय के साथ सुभाष के व्यवहार में बदलाव आने लगा। उसका विनम्र स्वभाव अब अहंकार में बदल गया था।

एक दिन, सुभाष ने एक बड़े व्यापारी से मिलकर एक बड़ा सौदा किया। उसने सोचा कि इस सौदे से वह और भी अधिक धनवान बन जाएगा। लेकिन उसने जोखिमों का आकलन नहीं किया और बिना सोचे-समझे अपनी सारी संपत्ति उस सौदे में लगा दी।

दुर्भाग्य से, वह सौदा बहुत बड़ा घाटा साबित हुआ और सुभाष को अपनी सारी संपत्ति खोनी पड़ी। जिस व्यक्ति को कभी गाँव में सबसे ज्यादा सम्मान मिलता था, वह अब गरीबी और उपेक्षा का शिकार हो गया।

सुभाष ने अपने अहंकार और लापरवाही की वजह से “अर्श से फर्श तक” का सफर किया। उसे अब समझ आया कि जीवन में संतुलन और विनम्रता कितनी महत्वपूर्ण है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता और धन का अहंकार कभी नहीं करना चाहिए और हमेशा जमीन से जुड़े रहना चाहिए। जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन अहंकार और अविवेकी निर्णय हमें “अर्श से फर्श” तक ले जा सकते हैं।

शायरी:

अरश से फर्श तक का सफर है जिंदगी,

हर कदम पर इम्तिहान है जिंदगी।

ऊंचाइयों पर था जो कभी बादशाह,

वक्त के हाथों में खिलौना बन गया।

ख्वाबों की दुनिया में था जो उड़ान भरता,

धरती पर आकर हकीकत से टकरा गया।

जो अरश पर चमकता था तारा कभी,

फर्श पर आज वो बिखरा हुआ है।

जिंदगी के इस खेल में सब कुछ है यहाँ,

 

अर्श से फर्श तक शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of अर्श से फर्श तक – Arsh se farsh tak Idiom:

Introduction: The idiom “अर्श से फर्श तक” is frequently used in Indian literature and colloquial language. It is used to describe a situation where someone’s status falls from a very high level to the lowest level.

Meaning: “अर्श” means the sky or the highest place, and “फर्श” means the ground or the lowest place. Therefore, “अर्श से फर्श तक” translates to a situation where someone’s status goes from an extremely high level to the lowest level.

Usage: This idiom is commonly used when someone’s wealth or prestige suddenly and dramatically decreases.

Usage:

-> Seeing the current state of the industrialist, who once was at the pinnacle of the business world, people say that he has gone “from the zenith to the nadir.”

-> The career of the actress, which was soaring high, fell just as rapidly “from the zenith to the nadir.”

Conclusion: The idiom “अर्श से फर्श तक” teaches us that life is full of ups and downs, and no success or status is permanent. It also imparts the importance of humility and realism. Thus, it is used to illustrate the uncertainties and dynamics of life.

Story of ‌‌Arsh se farsh tak Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, there lived a farmer named Subhash. Subhash was very hardworking and honest. His efforts paid off, and gradually, he became wealthy.

Subhash’s wealth and fame grew to the extent that he became the richest person in the village. People narrated his success stories and respected him greatly. However, over time, Subhash’s behavior began to change. His humble nature turned into arrogance.

One day, Subhash struck a big deal with a prominent trader. He thought this deal would make him even wealthier. But he did not assess the risks properly and recklessly invested all his wealth in the deal.

Unfortunately, the deal resulted in a huge loss, and Subhash lost all his wealth. The man who once received the highest respect in the village now faced poverty and neglect.

Subhash’s journey from riches to rags was a result of his arrogance and carelessness. He then realized the importance of balance and humility in life. This story teaches us that one should never be arrogant about success and wealth and should always stay grounded. Life is full of ups and downs, but arrogance and imprudent decisions can lead one from the heights of success to the depths of despair.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

फर्श तक का उपयोग किसी दूरस्थ स्थान को सूचित करने के लिए कैसे किया जा सकता है?

जैसे कि, “मैंने उस गाँव का पता लगाया, और फिर मैं वहाँ फर्श तक पहुँचा।”

इस मुहावरे का उपयोग किस प्रकार से होता है?

यह मुहावरा किसी व्यक्ति या वस्तु को बहुत करीब से संदर्भित करने के लिए प्रयुक्त होता है।

फर्श तक मुहावरा का क्या अर्थ है?

फर्श तक का मतलब है बहुत नजदीक या बहुत करीब तक।

फर्श तक मुहावरा का विस्तार से वर्णन करें।

इस मुहावरे में “फर्श” शब्द सीधे रूप से एक स्थान को सूचित करता है, जो कि बहुत नजदीक या सीधे सम्बन्धित है।

क्या इस मुहावरे का कोई सामंजस्यिक उपयोग हो सकता है?

हाँ, इसका सामंजस्यिक उपयोग भी हो सकता है, जैसे कि दो लोगों के बीच अच्छे संबंध को संकेतित करने के लिए।

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