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अंतर के पट खोलना, अर्थ, प्रयोग(Antar ke pat kholna)

परिचय: मुहावरे हमारी भाषा के वे रंग होते हैं जो सामान्य वाक्यों को भी जीवंत और सजीव बना देते हैं। ‘अंतर के पट खोलना’ एक ऐसा ही हिंदी मुहावरा है, जिसका संबंध किसी के मन की गहराइयों को समझने और उनकी भावनाओं या विचारों को स्पष्ट करने से है। यह मुहावरा अक्सर उस समय प्रयोग में लाया जाता है जब कोई अपनी या दूसरों की गहरी और छिपी हुई बातों को समझदारी और चतुराई से उजागर करता है।

अर्थ: ‘अंतर के पट खोलना’ का अर्थ होता है मन के भावों को प्रकट करना या छिपे हुए इरादों को सामने लाना।

प्रयोग: यह मुहावरा व्यक्तिगत संवाद, साहित्यिक कृतियों, रंगमंच और फिल्मों में पात्रों की आंतरिक स्थिति को प्रकट करने के लिए प्रयोग होता है।

उदाहरण:

-> जब अभय ने अपने विचार खुलकर सबके सामने रखे, तो सभी को समझ में आया कि वह क्यों उस निर्णय पर पहुंचा – वास्तव में उसने ‘अंतर के पट खोल’ दिए थे।

-> अदालत में वकील ने जब सबूतों के माध्यम से सच्चाई को सबके सामने रखा, तो मानो उसने ‘अंतर के पट खोल’ दिए।

महत्व: यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि सच्चाई और स्पष्टता का महत्व क्या होता है। समझदारी और चतुराई से काम लेकर हम जटिल से जटिल समस्या का समाधान ढूंढ सकते हैं और अपने साथ-साथ दूसरों की भी मदद कर सकते हैं।

‘अंतर के पट खोलना’ एक शक्तिशाली मुहावरा है जो किसी भी विषय की गहराई और सूक्ष्मता को समझने में सहायक होता है। इसका प्रयोग करना न केवल भाषा को समृद्ध बनाता है, बल्कि विचारों को भी गहराई प्रदान करता है।

Hindi Muhavare Quiz

अंतर के पट खोलना मुहावरा पर कहानी:

किसी जमाने में एक छोटा सा गाँव था, जिसका नाम था ज्ञानपुर। इस गाँव में एक बहुत ही समझदार और विद्वान व्यक्ति रहते थे, जिनका नाम था पंडित प्रेमचंद्र जी  पंडित जी के पास एक विशेष प्रकार का दर्पण था, जिसे देखने से व्यक्ति के अंतर के भाव साफ नजर आ जाते थे। उन्हें ‘अंतर के पट खोलना’ में महारत हासिल थी।

एक दिन गाँव में मेला लगा और पूरे गाँव के लोग खुशियाँ मनाने के लिए मेले में जमा हुए। मेले में एक चालाक ठग भी आया, जिसने सोने की चेन दिखाकर लोगों से पैसे लेने शुरू कर दिए। लेकिन पंडित गोपालदास ने अपने दर्पण का प्रयोग करके ठग के इरादों को सबके सामने रख दिया। उन्होंने बड़ी ही चतुराई से ठग के ‘अंतर के पट खोल’ दिए।

जब गाँववालों ने देखा कि ठग के पास जो सोने की चेन थी वो असली नहीं बल्कि नकली थी, तो सबने पंडित जी का धन्यवाद किया। पंडित जी ने समझाया कि बाहरी चमक-दमक से धोखा नहीं खाना चाहिए और हमेशा चीजों को गहराई से समझना चाहिए।

इस घटना के बाद ज्ञानपुर के लोग भी समझदार हो गए और वे भी ‘अंतर के पट खोलना’ शुरू कर दिए, यानी वे अपने आसपास के लोगों की भावनाओं और इरादों को समझने लगे। अब वे लोगों के बाहरी दिखावे में नहीं आते थे, बल्कि उनके अंतर की गहराई को पहचानने लगे थे। इस प्रकार, गाँव में समझदारी और विवेक की भावना जागृत हुई और गाँव विकास के नए आयामों को छूने लगा।

यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में अंतर के पट खोलकर चीजों को समझना बहुत जरूरी है। सतही देखावे के पीछे की सच्चाई को जानने की चतुराई ही हमें सही और गलत के बीच फर्क करने में मदद करती है।

शायरी:

चेहरों के पीछे छुपे जज़्बातों को पढ़ लेना,

ये हुनर भी ज़िंदगी की एक खूबसूरत सदा है।

अंतर के पट खोलना जिसे आता है ‘यारों,

वो शख्स हर महफ़िल का अनछुआ तारा है।

जिसकी नजर में खोज हो, समंदर भी पढ़ ले,

आँखों में देखे बिना कहानी छुपी जो गहराई में।

हर शख्स की बातों का असली चेहरा खोल दे,

जो ‘दिल की गहराइयों’ का कर सके सही अनुमान।

मासूम सा चेहरा और आँखों में कुछ तूफ़ान,

अंतर के पट खोलने वाला हर राज़ से वाकिफ है।

सही और गलत की इस चौसर पर वो शह और मात,

बिना कहे जो समझ जाए, वो सच्चा शायर कहलाता है।

मिट्टी की सोंधी खुशबू में छुपे बारिश के गीत,

जिसने ‘अंतर के पट खोलने’ की कला को पहचाना।

उसकी शायरी में बसती है, रूहों की वह खुशबू,

जो हर दिल के आँगन में, खुशियों का सवेरा लाना।

अंतर की बात को जो पहचाने, वही सिकंदर कहलाता,

इस दुनिया की रंजिश में, उसका दिल सबसे जुदा है।

‘अंतर के पट खोल’ वह जिसकी बातों में हो गहराई,

उस शायर की शायरी में, जिंदगी का हर राज छुपा है।

 

अंतर के पट खोलना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of अंतर के पट खोलना – Antar ke pat kholna Idiom:

Introduction: Idioms are the colors of our language that bring to life even the most mundane sentences. The Hindi idiom ‘अंतर के पट खोलना’ (Antar ke pat kholna) is related to understanding the depths of someone’s heart and clarifying their emotions or thoughts. This phrase is often used when someone reveals their own or others’ deep and hidden thoughts with wisdom and cleverness.

Meaning: ‘अंतर के पट खोलना’ (Antar ke pat kholna) means to express the feelings of the heart or to bring hidden intentions to the forefront.

Usage: This idiom is used in personal communication, literary works, theater, and films to reveal the inner state of the characters.

Examples:

-> When Ram openly shared his thoughts with everyone, it became clear why he had reached that decision – indeed, he had ‘opened the inner curtains’ of his mind.

-> In court, when the lawyer laid out the truth through evidence, it was as if he had ‘opened the inner curtains’ to the case.

Importance: This idiom teaches us the importance of truth and clarity. By acting wisely and cleverly, we can find solutions to the most complex problems and help ourselves as well as others.

‘अंतर के पट खोलना’ (Antar ke pat kholna) is a powerful idiom that aids in understanding the depth and subtleties of any subject. Its use not only enriches the language but also provides depth to thoughts.

Story of ‌‌Antar ke pat kholna Idiom in English:

Once upon a time, there was a small village named Gyanpur. In this village lived a very wise and learned man, named Pandit Premchand Ji. Pandit Ji possessed a special type of mirror, which, upon looking, would clearly reveal the inner emotions of a person. He was a master at ‘opening the curtains of the heart’ (revealing inner feelings).

One day, a fair was held in the village, and the villagers gathered to celebrate. A cunning swindler also came to the fair, who started collecting money from people by showing them a gold chain. However, Pandit Gopal Das used his mirror to expose the swindler’s intentions to everyone. He cleverly ‘opened the inner curtains’ of the swindler’s heart.

When the villagers saw that the gold chain with the swindler was not real but fake, they all thanked Pandit Ji. Pandit Ji explained that one should not be deceived by external glitz and glamour and should always understand things in depth.

After this incident, the people of Gyanpur also became wiser and started ‘opening the inner curtains’ themselves, meaning they began to understand the emotions and intentions of the people around them. They were no longer swayed by people’s outward appearances but began to recognize the depths of their inner selves. Thus, a sense of wisdom and discernment awakened in the village, and the village began to reach new dimensions of development.

This story teaches us that in life, it is very important to ‘open the inner curtains’ to understand things. The cleverness of knowing the truth behind superficial appearances helps us distinguish between right and wrong.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या यह मुहावरा केवल व्यक्तिगत स्तर पर ही उपयोग होता है?

नहीं, यह मुहावरा सामाजिक, राजनीतिक या साहित्यिक स्तर पर भी उपयोग हो सकता है।

क्या अंतर के पट खोलना सकारात्मक होता है या नकारात्मक?

इस मुहावरे का उपयोग सकारात्मक या नकारात्मक दोनों प्रकार से किया जा सकता है, यह स्थिति पर निर्भर करता है।

अंतर के पट खोलना मुहावरा का क्या अर्थ है?

यह मुहावरा किसी के भीतर के बातों, भावनाओं या रहस्यों को खोलकर सभी के सामने लाने का अर्थ है।

क्या इस मुहावरे का कोई विशेष उपयोग है?

जी हां, इसका उपयोग अक्सर रहस्यमयी या चुनौतीपूर्ण स्थितियों को समझाने में किया जाता है।

क्या इस मुहावरे का उपयोग केवल बातचीत में होता है?

नहीं, यह मुहावरा विभिन्न संदर्भों में जैसे कि कला, साहित्य, या सामाजिक परिस्थितियों में भी उपयोग हो सकता है।

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