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अंधेर नगरी चौपट्ट राजा, अर्थ, प्रयोग(Andher nagri chaupat raja)

परिचय: “अंधेर नगरी चौपट राजा” एक प्रसिद्ध हिंदी मुहावरा है, जिसका शाब्दिक अर्थ है “अंधेरे शहर में बेकार राजा।” इस मुहावरे का प्रयोग उस स्थिति के वर्णन के लिए किया जाता है जहां शासन करने वाला अक्षम और मूर्ख हो, और उसके नेतृत्व में सिर्फ अव्यवस्था और अन्याय हो।

अर्थ: इस मुहावरे का इस्तेमाल आमतौर पर उन परिस्थितियों में किया जाता है जहां नेतृत्व की कमी या निर्णय लेने में अयोग्यता के कारण समाज में अराजकता और भ्रष्टाचार पनपता है। यह उस समय को भी दर्शाता है जब कानून और न्याय की जगह भ्रष्टाचार और मनमानी चलती हो।

इसका उपयोग विशेष रूप से तब किया जाता है जब सरकार या नेता जनता के हित की अनदेखी करते हुए, स्वार्थी और अविवेकी निर्णय लेते हैं जिससे समाज के सभी वर्गों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

उदाहरण:

-> “जब से नया प्रशासन आया है, शहर की स्थिति ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ जैसी हो गई है, जहां नियम और कानून का कोई मोल नहीं रहा।”

सामाजिक महत्व: इस मुहावरे की उत्पत्ति एक पुरानी कहानी से हुई है, जिसमें एक राजा अपने नासमझ और मूर्ख निर्णयों के लिए प्रसिद्ध था। उसके निर्णयों की वजह से उसकी प्रजा हमेशा परेशान रहती थी और उसके राज्य में चारों तरफ अव्यवस्था फैली रहती थी। इसी कहानी से यह मुहावरा बना जो कि एक अक्षम नेतृत्व की ओर इशारा करता है।

समापन: यह मुहावरा न सिर्फ एक वाक्यांश है बल्कि एक सीख भी है जो हमें बताती है कि नेतृत्व की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है। यदि नेता नासमझ और अक्षम हैं, तो उनके अधीन समाज और राष्ट्र का क्षरण निश्चित है। इसलिए, यह जरूरी है कि नेतृत्व का चुनाव सोच-समझकर और योग्यता के आधार पर किया जाए।

आशा है कि इस लेख के माध्यम से “अंधेर नगरी चौपट राजा” मुहावरे का महत्व और इसका उपयोग आपको स्पष्ट हो गया होगा। Budhimaan.com पर ऐसे ही और अधिक ज्ञानवर्धक आलेखों के लिए बने रहें।

Hindi Muhavare Quiz

अंधेर नगरी चौपट राजा मुहावरा पर कहानी:

एक बार की बात है, ‘राज नगर’ नाम का एक छोटा सा राज्य था। इस राज्य का शासक था सुरेंद्र सिंह। राजा अपने अजीबोगरीब और असमझ फैसलों के लिए जाना जाता था। उसके राज में अक्सर उलटे-सीधे नियम बनाए जाते और जनता को बिना किसी तर्क या न्याय के उनका पालन करना पड़ता।

एक दिन राजा ने एलान किया कि उसके राज्य में सभी चीजें एक ही मूल्य पर बेची जाएंगी। चाहे वह सोने की मुद्रा हो या मिट्टी का टुकड़ा, सबकी कीमत एक ही तय की गई। गरीब लोग खुश हुए कि उन्हें सस्ते में सोना मिलेगा, लेकिन व्यापारी और समझदार लोग इस बेतुके निर्णय से परेशान हो उठे।

समय के साथ, राज्य का बाजार अस्त-व्यस्त हो गया। लोगों ने कीमती सामानों की बिक्री बंद कर दी और जल्द ही राज्य में आर्थिक संकट आ गया। लेकिन राजा की मूर्खतापूर्ण नीतियाँ यहीं नहीं रुकीं। उसने आदेश दिया कि राज्य में अंधेरा होते ही सभी लोग अपनी दुकानें और घरों के दरवाजे खोल दें ताकि चोरों को चोरी करने में आसानी हो।

इस तरह के फैसलों से जनता में असंतोष और अव्यवस्था फैल गई। एक समझदार विद्वान जो कि राजा के दरबार में आया करता था, उसने यह देखकर राजा को समझाने की कोशिश की कि उसके निर्णय राज्य को किस ओर ले जा रहे हैं। लेकिन राजा ने उसकी एक न सुनी और उसे ही दंडित कर दिया।

जैसे-जैसे दिन बीतते गए, राज्य की हालत और भी बदतर होती गई। ‘अंधेर नगरी’ की तरह यहाँ अव्यवस्था और अराजकता छा गई। अंततः, लोगों ने राजा के विरुद्ध विद्रोह कर दिया और एक समझदार शासक को अपना राजा चुना। नए राजा ने राज्य की दुर्दशा को सुधारा और अव्यवस्था को दूर करते हुए सुव्यवस्थित और न्यायपूर्ण शासन स्थापित किया।

इस कहानी से सीख मिलती है कि जहाँ नेतृत्व कमजोर और अक्षम होता है, वहाँ समाज में अव्यवस्था और अराजकता फैलती है। अतः नेतृत्व की जिम्मेदारी सोच-समझकर उठानी चाहिए।

शायरी:

अंधेर नगरी में बैठा इक चौपट राजा,

बिना सोचे समझे, जैसे बहती हवा का बाजा।

उसकी दरबार में हर फैसला बेमिजाज़,

जनता रही भटकती, खोजती अपनी राह का राज़।

ना इंसाफ की ज्योति, ना न्याय की बात,

अँधेरे में डूबी जो, वो नगरी हो गई बर्बाद।

कहाँ हैं वो आंखें जो पहचानें दिन-रात,

यहाँ तो हर सच को चाहिए, झूठ की सौगात।

लेकिन याद रखना, ये अंधेरा भी है एक रोशनी का साज़,

जब जगमगाएंगे दीये, टूटेगी हर नगरी की खुमारी आज़।

हमें तो चलना है, अपनी मशाल लिए,

क्योंकि अंधेर नगरी में भी, इंसाफ लाएगा वही, जिसमें हो सच की लिए।

 

अंधेर नगरी चौपट राजा शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of अंधेर नगरी चौपट राजा – Andher nagri chaupat raja Idiom:

Meaning: “Blind City, Inept King” is a famous Hindi idiom, which literally means “Dark town with a useless king.” This phrase is used to describe a situation where the ruler is incapable and foolish, leading to nothing but disorder and injustice.

Usage: This idiom is typically used to describe scenarios where chaos and corruption breed in society due to a lack of leadership or incompetence in decision-making. It also illustrates times when corruption and arbitrariness replace law and justice.

It is especially employed when governments or leaders, overlooking the welfare of the public, make selfish and irrational decisions that negatively impact all sections of society.

Examples:

-> “Ever since the new administration has come in, the condition of the city has become like ‘Blind City, Inept King’, where rules and laws hold no value.”

Context of the story: The origin of this idiom comes from an old tale about a king who was infamous for his nonsensical and foolish decisions. Because of his rulings, his subjects always suffered, and his kingdom was always engulfed in chaos. This idiom arose from that story, indicating incompetent leadership.

Conclusion: This idiom is not just a phrase but also a lesson that tells us how important the role of leadership is. If the leaders are naive and incapable, the decline of society and the nation under them is certain. Therefore, it is imperative that leadership is chosen thoughtfully and based on competence.

We hope that this article has clarified the significance and use of the “Blind City, Inept King” idiom. Stay tuned to Budhimaan.com for more enlightening articles like this.

Story of ‌‌Andher nagri chaupat raja Idiom in English:

In a small village lived a young man named Anubhav. Anubhav had a dream – to become a great singer. Since his childhood, he had a deep love for music and his voice was so sweet that the entire village was crazy about his singing. However, due to poverty and lack of resources, he was unable to fulfill his dream.

By teaching music to the village children and working in the fields, he managed to support his family, but deep down, he always harbored the desire to achieve his ‘Armaan’ (ambitions).

Time passed, and Anubhav’s ambition slowly turned into a raging fire in his heart. One day, a grand music festival was to be organized in the village by a wealthy man of the same village, Seth Ji. Seth Ji knew about Anubhav’s talent, but he was so consumed by his pride in his wealth and power that he did not give Anubhav the opportunity to perform at his event.

Instead of becoming discouraged, Anubhav doubled his efforts. He started a small music class in a hut outside the village and dedicated himself to the practice of music day and night.

As he waited for the right time, the day finally came when a famous music director happened to pass through the village. Anubhav’s melodious voice enchanted him, and he invited Anubhav to perform at a music festival in a big city.

The tale of Anubhav’s success spread throughout the village, and even Seth Ji could not stop himself from praising him. He realized that in front of true merit and talent, wealth and arrogance held no value. He acknowledged his mistake and apologized to Anubhav.

Eventually, Anubhav fulfilled his ambitions and taught that with patience and steadfast effort, anyone can realize their dreams. His story is still alive in the village as the phrase ‘Armaan nikalne’ (to achieve one’s ambitions), serving as an example to inspire the younger generation.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

इस मुहावरे का उपयोग किस प्रकार से किया जाता है?

यह मुहावरा उस स्थिति को व्यक्त करने के लिए उपयोग होता है जहां किसी नेता या सत्ताधारी का कुशासन और अन्याय होता है।

अंधेर नगरी चौपट राजा का क्या अर्थ है?

इस मुहावरे का अर्थ है कि जहाँ-जहाँ अन्याय और कुशासन होता है, वहां-वहां राजा अपनी सुरक्षा नहीं कर सकता और राज्य में असुरक्षा बढ़ती है।

क्या इस मुहावरे का कोई विशेष साहित्यिक संदर्भ है?

हाँ, कई साहित्यिक रचनाओं में इस मुहावरे का उपयोग किया गया है, जिससे समाज में न्याय की बात की गई है।

क्या इस मुहावरे का इतिहास है?

: इस मुहावरे का उगम संस्कृत के लोकोक्ति “अंधेरे नगरे च कणकाण कूट” से हुआ है और इसका प्रचलन विभिन्न भाषाओं में है।

इस मुहावरे का विपरीत क्या है?

इसका विपरीत मुहावरा “जैसे को तैसा” हो सकता है, जिससे यह बताया जाता है कि कोई भी अच्छा या बुरा व्यवहार अच्छे या बुरे परिणामों को देता है।

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यह मुहावरा अ से शुरू होने वाले मुहावरे पेज पर भी उपलब्ध है।

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