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आटे-दाल की फिक्र अर्थ, प्रयोग (Aate-daal ki fikr)

“आटे-दाल की फिक्र” एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है, जिसका सामान्य अर्थ होता है दैनिक जीवन की आवश्यकताओं और बुनियादी जरूरतों की चिंता। यह मुहावरा आमतौर पर उन परिस्थितियों में प्रयोग किया जाता है जहां व्यक्ति की प्राथमिक चिंता अपनी और अपने परिवार की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की होती है।

परिचय: इस मुहावरे का प्रयोग तब होता है जब किसी व्यक्ति का मुख्य ध्यान और संघर्ष रोजमर्रा की बुनियादी जरूरतों जैसे कि खाना-पीना, रहन-सहन आदि को पूरा करने पर केंद्रित होता है।

अर्थ: ‘आटे-दाल की फिक्र’ का शाब्दिक अर्थ है आटे और दाल की चिंता करना, जो भारतीय संदर्भ में बुनियादी खाद्य सामग्री का प्रतिनिधित्व करता है। यह मुहावरा जीवन की बुनियादी और दैनिक जरूरतों की ओर संकेत करता है।

प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग आमतौर पर तब होता है जब किसी को अपनी दैनिक आवश्यकताओं की चिंता हो या जब वह आर्थिक रूप से कठिनाई में हो।

उदाहरण:

-> मुनीश किसान है और उसके लिए रोज की आटे-दाल की फिक्र रहती है।

-> महंगाई के इस दौर में, हर आदमी की पहली चिंता आटे-दाल की फिक्र होती है।

निष्कर्ष: ‘आटे-दाल की फिक्र’ मुहावरा जीवन की बुनियादी और रोजमर्रा की जरूरतों की ओर इशारा करता है। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीजें अक्सर सबसे बुनियादी होती हैं, और इन्हें पूरा करना ही अधिकांश लोगों के लिए प्राथमिकता होती है। यह मुहावरा आर्थिक और सामाजिक स्थिति के प्रति जागरूकता भी बढ़ाता है।

Hindi Muhavare Quiz

आटे-दाल की फिक्र मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गांव में अभय नाम का एक ईमानदार और मेहनती किसान रहता था। अभय की जिंदगी साधारण थी, लेकिन उसके जीवन की मुख्य चिंता हमेशा उसके परिवार के लिए आटे-दाल की फिक्र रहती थी। उसका दिन का आरंभ सूर्योदय के साथ होता और रात तक वह खेतों में काम करता।

एक बरसात के मौसम में, बहुत ज्यादा बारिश के कारण उसकी फसलें बर्बाद हो गईं। इससे अभय के लिए अपने परिवार की आटे-दाल की फिक्र और भी बढ़ गई। उसे चिंता थी कि अगर उसके पास पर्याप्त अनाज नहीं होगा, तो वह अपने परिवार का पेट कैसे भरेगा।

अभय ने हार नहीं मानी और अपने गांव के अन्य किसानों के साथ मिलकर एक नई योजना बनाई। वे सभी मिलकर छोटे-छोटे खेतों में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाने लगे। उनकी मेहनत रंग लाई और कुछ ही महीनों में उन्हें अच्छी फसल की प्राप्ति हुई।

अभय की कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में आटे-दाल की फिक्र आम है, लेकिन संघर्ष और साझेदारी से हम कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं। अभय की तरह हर व्यक्ति को अपने परिवार की बुनियादी जरूरतों की फिक्र करनी पड़ती है, लेकिन साथ ही साथ, समाधान की दिशा में कदम बढ़ाना भी जरूरी होता है।

शायरी:

जिंदगी की राहों में, आटे-दाल की फिक्र बहुत,

कदम दर कदम चलते हैं, फिर भी राहत कम होती है।

हर दिन की जद्दोजहद में, बस यही एक सच है,

घर की चूल्हा-चक्की में, जिंदगी की आंच होती है।

सपनों की बाज़ार में, खरीदारी भी अजीब है,

ख्वाब बड़े हैं, पर हकीकत में, आटे-दाल की तलब होती है।

खुशियों की चाह में, ये दुनिया क्या से क्या हो जाती है,

दिल की आरजू में, फिर भी आटे-दाल की राह होती है।

दिन भर की थकान में, एक उम्मीद की किरण होती है,

घर लौटकर देखें, तो आटे-दाल की बात होती है।

इस जीवन की कश्मकश में, हर खुशी और ग़म की पहचान होती है,

आखिर में, सबकी ज़िंदगी में, आटे-दाल की ज़रूरत होती है।

 

आटे-दाल की फिक्र शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of आटे-दाल की फिक्र – Aate-daal ki fikr Idiom:

“Aate-daal ki fikr” is a prevalent Hindi idiom, which generally means worrying about the necessities and basic needs of daily life. This idiom is typically used in situations where a person’s primary concern is to fulfill their own and their family’s basic needs.

Introduction: This idiom is used when a person’s main focus and struggle is centered on fulfilling everyday basic needs such as food, shelter, etc.

Meaning: The literal meaning of ‘Aate-daal ki fikr’ is worrying about flour and lentils, which represent basic food items in the Indian context. This idiom points towards the fundamental and daily necessities of life.

Usage: This idiom is commonly used when someone is worried about their daily needs or when they are in financial difficulty.

Example:

-> Munish is a farmer, and he always has the concern for flour and lentils every day.

-> In this era of inflation, every person’s primary concern is the worry for flour and lentils.

Conclusion: The idiom ‘the concern for flour and lentils’ indicates the basic and everyday needs of life. It reminds us that the most important things in life are often the most basic ones, and fulfilling these is a priority for most people. This idiom also raises awareness about economic and social situations.

Story of ‌‌Aate-daal ki fikr Idiom in English:

In a small village, there lived an honest and hardworking farmer named Abhay. Abhay’s life was simple, but his main concern was always for the basic needs of his family, particularly for flour and lentils. His day began with sunrise and he worked in the fields until nightfall.

During one rainy season, excessive rain destroyed his crops, which increased Abhay’s worry about providing for his family’s basic needs. He was concerned about how he would feed his family if he didn’t have enough grain.

However, Abhay did not give up. He collaborated with other farmers in his village and devised a new plan. Together, they began cultivating various types of crops in small fields. Their hard work paid off, and within a few months, they harvested a good crop.

Abhay’s story teaches us that worrying about basic needs like flour and lentils is common in life, but struggles and partnerships can help us face difficulties. Like Abhay, everyone has to worry about their family’s basic needs, but it is also important to take steps towards finding solutions.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

आटे-दाल की फिक्र को कैसे दूर किया जा सकता है?

आटे-दाल की फिक्र को दूर करने के लिए सामाजिक सहायता, आर्थिक सहायता, और संबंधों में सहयोग की जरूरत होती है। व्यक्ति को अपनी समस्याओं को सामाजिक रूप से व्यक्त करने और समाधान ढूंढने के लिए साहय्यक होना चाहिए।

आटे-दाल की फिक्र क्या होती है?

आटे-दाल की फिक्र का मुहावरा उस स्थिति को व्यक्त करता है जब किसी को खाने की सामग्री की कमी की चिंता होती है। यह चिंता अक्सर आर्थिक संबंधों, परिवार की आर्थिक स्थिति या अन्य संबंधों से जुड़ी होती है।

आटे-दाल की फिक्र का अर्थ क्या है?

आटे-दाल की फिक्र का अर्थ होता है किसी को भोजन की व्यवस्था करने में समस्या या चिंता होना। यह मुहावरा अक्सर किसी की आर्थिक स्थिति के बारे में व्यक्त किए जाने वाले विशेष रूप से होता है।

आटे-दाल की फिक्र का उपयोग कहाँ होता है?

यह मुहावरा अक्सर सामाजिक संदेशों, व्यक्तिगत चिंताओं, या आर्थिक समस्याओं को व्यक्त करने के लिए उपयोग होता है। इसका उपयोग व्यक्तिगत और सामाजिक संदेशों को संदेशित करने के लिए किया जा सकता है।

आटे-दाल की फिक्र से क्या संबंध है?

यह मुहावरा भोजन की सामग्री के उपलब्धता और व्यक्ति की आर्थिक स्थिति के संबंध में होता है। इसके माध्यम से, व्यक्ति की चिंता और संघर्ष व्यक्त किए जा सकते हैं।

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