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आँख उठाकर न देखना, अर्थ, प्रयोग(Aankh utha kar na dekhna)

परिचय: हिंदी भाषा समृद्ध है अपने मुहावरों और लोकोक्तियों के संग्रह में, जो अक्सर हमारी दैनिक बोलचाल में प्रयोग होते हैं। “आँख उठाकर न देखना” ऐसा ही एक लोकप्रिय मुहावरा है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है किसी ओर नजर उठाकर न देखना। लेकिन इसका प्रयोग आमतौर पर किसी व्यक्ति या वस्तु को पूर्णतया उपेक्षित करने के संदर्भ में होता है।

अर्थ: इस मुहावरे का वास्तविक अर्थ है किसी व्यक्ति या वस्तु को इतना तिरस्कार करना कि उस पर नजर तक न डाली जाए। इसका प्रयोग तब किया जाता है जब कोई इंसान किसी अन्य व्यक्ति को कोई महत्व नहीं देना चाहता, या फिर जब कोई व्यक्ति अपनी दृष्टि से किसी चीज़ या व्यक्ति को पूरी तरह नजरअंदाज कर रहा हो।

इस मुहावरे का प्रयोग अक्सर नकारात्मक संदर्भ में होता है। यह किसी के प्रति अनादर या अवहेलना की भावना को प्रकट करता है।

उदाहरण:

-> राहुल ने अपने गाँव के लोगों की बात को इतना हल्के में लिया कि उसने उनकी ओर आँख उठाकर भी न देखा।

-> सीमा ने अपने पुराने मित्र को इस तरह उपेक्षित किया मानो उसे आँख उठाकर न देखा हो।

विशेष टिप्पणी: यह मुहावरा हमारे समाज में उन व्यवहारों को दर्शाता है जहां लोग अक्सर धन, सामाजिक स्थिति, या व्यक्तिगत मतभेदों के आधार पर एक दूसरे को नजरअंदाज कर देते हैं।

निष्कर्ष: यह मुहावरा हमें यह भी सिखाता है कि हमें किसी को भी उपेक्षित नहीं करना चाहिए, चाहे वह कोई व्यक्ति हो या विचार, क्योंकि हर एक का अपना महत्व होता है।

“आँख उठाकर न देखना” मुहावरा हमें यह बताता है कि अपनी आँखों को उपेक्षा का औज़ार न बनाएं, बल्कि समझदारी और सहिष्णुता के साथ प्रत्येक व्यक्ति और परिस्थिति को देखें। अंततः, एक समाज के रूप में हमारी संवेदनशीलता और सहानुभूति ही हमारे सामूहिक चरित्र को निर्धारित करती है।

आइए हम सभी मिलकर इस मुहावरे की सही समझ और उपयोग को अपनाकर एक अधिक समावेशी और संवेदनशील समाज की ओर अग्रसर हों।

Hindi Muhavare Quiz

आँख उठाकर न देखना मुहावरा पर कहानी:

एक समय की बात है, छोटे से गाँव में एक साधु महाराज रहते थे। वे बड़े ही ज्ञानी और सरल स्वभाव के थे। गाँव वाले उनकी बहुत इज्जत करते थे, लेकिन गाँव के ही एक धनी सेठ जी थे जो अपने धन के घमंड में चूर थे।

एक दिन साधु महाराज ने गाँव के सभी लोगों को एकत्रित कर कहा कि वे गाँव में एक बड़ा कुआँ खोदना चाहते हैं जिससे सभी गाँव वालों को पीने के पानी की समस्या हल हो सके। गाँव वाले इस विचार से बहुत खुश हुए और सभी ने सहायता करने का वादा किया।

लेकिन जब सेठ जी से इस कार्य के लिए सहायता मांगी गई, तो उन्होंने साधु महाराज की ओर “आँख उठाकर न देखा” और बिना कुछ कहे वहाँ से चले गए। उनका यह व्यवहार गाँव वालों को बहुत बुरा लगा और सभी ने उनके इस घमंड को नापसंद किया।

वक्त बीतता गया, कुआँ बन कर तैयार हुआ और सभी गाँव वालों को पानी की समस्या से छुटकारा मिला। फिर एक साल ऐसा आया जब गाँव में बहुत सूखा पड़ा और सेठ जी के अपने कुएँ सूख गए। पानी की दिक्कत से जूझते हुए उन्हें उसी कुएँ का पानी मांगना पड़ा जिसे उन्होंने अपनी उपेक्षा से नवाजा था।

साधु महाराज और गाँव वालों ने बिना किसी राग-द्वेष के सेठ जी को पानी दिया। सेठ जी का घमंड चूर हो गया और उन्हें समझ में आया कि उनके धन का कोई अर्थ नहीं है अगर वे समाज में सद्भाव और सहयोग नहीं बना सकते।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि किसी को भी उपेक्षित नहीं करना चाहिए और न ही किसी के प्रति “आँख उठाकर न देखने” का भाव रखना चाहिए। सभी का सम्मान करना और सभी के साथ सहयोग करना ही एक सुखी समाज की नींव है।

शायरी:

वक्त का तकाजा है, महफिल में बात रखो,

आँख उठाकर न देखने की आदत न साथ रखो।

दुनिया बड़ी जालिम है, ये सबको जानना है,

जिसे नजरअंदाज किया, वो शख्स पहचानना है।

रुखसत होती उम्र की, सब रौशनी ले जाएगी,

जिन आँखों में घमंड है, वक्त उन्हें झुकाएगी।

हर शख्स का वजूद है, ये बात दिल से जान लो,

जिसे तुम ठुकरा रहे, कहीं वो किसी की जान न हो।

महफिल में रौनक वही, जहाँ दिल से दिल मिले,

‘आँख उठाकर न देखने’ में क्या राज़ है ये खिले।

 

आँख उठाकर न देखना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of आँख उठाकर न देखना – Aankh utha kar na dekhna Idiom:

Introduction: The Hindi language is rich in its collection of idioms and proverbs, which are often used in our daily conversation. “आँख उठाकर न देखना” is one such popular idiom, which literally means not to look at something by raising one’s eyes. However, it is commonly used in the context of completely disregarding a person or an object.

Meaning: The actual meaning of this idiom is to disdain someone or something so much that one doesn’t even glance at them. It is used when a person does not want to give any importance to another, or when someone is completely ignoring something or someone from their sight.

Usage: This idiom is often used in a negative context. It expresses a feeling of disrespect or neglect towards someone.

Examples:

-> Rahul took the words of the people of his village so lightly that he did not even deign to look at them. 

-> Seema ignored her old friend as if she had not even bothered to look at her.

Social Context: This idiom reflects the behaviors in our society where people often ignore each other based on wealth, social status, or personal differences.

Morality: The idiom also teaches us that we should not ignore anyone, whether it is a person or an idea, because everyone has their own significance.

The idiom “आँख उठाकर न देखना” tells us not to use our eyes as a tool for neglect, but to look at each person and situation with understanding and tolerance. Ultimately, as a society, our empathy and compassion define our collective character.

Let us all move towards a more inclusive and sensitive society by adopting the correct understanding and use of this idiom.

Story of ‌‌Aankh utha kar na dekhna Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, there lived a saintly person known for his wisdom and simplicity. The villagers respected him a great deal, but there was a wealthy man in the same village who was consumed by the arrogance of his wealth.

One day, the saint gathered all the villagers and expressed his desire to dig a large well in the village to solve the drinking water problem for everyone. The villagers were delighted by this idea and promised to help.

However, when assistance was sought from the wealthy man for this task, he did not even bother to look at the saint with respect and walked away without saying anything. His behavior was quite upsetting to the villagers, and they all disapproved of his arrogance.

Time passed, the well was completed, and it resolved the villagers’ water scarcity. Then, one year, a severe drought hit the village, and the wealthy man’s own wells dried up. Struggling with the water crisis, he had to ask for water from the very well he had once disregarded.

The saint and the villagers provided water to the wealthy man without any grudge or ill-will. The wealthy man’s pride was shattered, and he realized that his wealth meant nothing if he could not foster harmony and cooperation within society.

The moral of the story teaches us that we should never disregard anyone and should not harbor the attitude of “not deigning to look at someone.” Respecting everyone and cooperating with each other is the foundation of a happy society.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

इस मुहावरे का उपयोग किस परिस्थिति में होता है?

जब कोई व्यक्ति किसी अच्छे कार्य या अवसर को सही तरीके से मूल्यांकन नहीं करता, तो उसे “आँख उठाकर न देखना” कहा जा सकता है।

आँख उठाकर न देखना का मतलब क्या है?

आँख उठाकर न देखना” का अर्थ है किसी अच्छे कार्य या स्थिति को अनदेखा करना या उसका मूल्यांकन न करना।

यह मुहावरा विशेष रूप से किस प्रकार के व्यक्ति के बारे में कहा जा सकता है?

इस मुहावरे का उपयोग उन व्यक्तियों के बारे में किया जा सकता है जो अच्छे कार्यों को उचित रूप से मूल्यांकन नहीं करते हैं।

क्या इस मुहावरे का उपयोग नकारात्मक स्थितियों में हो सकता है?

हाँ, इस मुहावरे का उपयोग नकारात्मक स्थितियों में भी हो सकता है, जब कोई व्यक्ति अच्छे का बुरा मूल्यांकन करता है।

क्या आप इस मुहावरे का उपयोग किसी परिस्थिति को अनदेखा करने के लिए भी सुझा सकते हैं?

जी हां, इस मुहावरे का उपयोग किसी समस्या या समस्ति को नजरअंदाज करने के लिए भी किया जा सकता है।

यह मुहावरा अ से शुरू होने वाले मुहावरे पेज पर भी उपलब्ध है।

यह मुहावरा मानव शरीर के अंगों पर आधारित मुहावरे पेज पर भी उपलब्ध है।

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