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आम के आम गुठलियों के दाम, अर्थ, प्रयोग(Aam ke aam guthliyon ke daam)

सुभाष अपने खेत में गेंहू काटते हुए, भूसे के बोरे तैयार करने की प्रक्रिया, गाँववाले सुभाष की चतुराई को प्रशंसा करते हुए, गेंहू की फसल और उसकी भूसा

परिचय: हर भाषा में कुछ ऐसे मुहावरे होते हैं जो किसी विशेष परिस्थिति या भावना को बयां करने में सहायक होते हैं। हिंदी भाषा में “आम के आम गुठलियों के दाम” भी ऐसा ही एक मुहावरा है।

अर्थ: “आम के आम गुठलियों के दाम” मुहावरे का अर्थ है किसी कार्य से दोगुना लाभ प्राप्त करना। जब हमें एक ही प्रयास से अधिक फायदा हो, तो हम इस मुहावरे का उपयोग कर सकते हैं।

उदाहरण:

-> अमन ने पुरानी किताबें बेच दीं और उसे नई किताबें खरीदने का पैसा भी मिला, वाह! आम के आम गुठलियों के दाम।

-> अनीता ने अपनी पुरानी बाइक बेच कर नई खरीदी, और उसे अधिक मूल्य में भी बेच दी। वाकई, आम के आम गुठलियों के दाम!

व्याख्या: हम जब भी चीजों में से अधिकतम लाभ प्राप्त करते हैं या अपेक्षित से ज्यादा प्रतिफल प्राप्त होता है, तो हम इस मुहावरे का उपयोग कर सकते हैं। इस मुहावरे का प्रयोग हमें यह दिखाने के लिए होता है कि हमें अपेक्षित से ज्यादा लाभ हुआ है।

निष्कर्ष: “आम के आम गुठलियों के दाम” जैसे मुहावरे हमें यह सिखाते हैं कि कभी-कभी हमें अधिक प्रतिफल मिल सकता है, जिससे हम उम्मीद से ज्यादा खुश हो सकते हैं। इस मुहावरे का उपयोग करके हम अपनी भावनाओं और अनुभवों को और भी प्रभावशाली तरीके से व्यक्त कर सकते हैं।

आम के आम गुठलियों के दाम मुहावरा पर कहानी:

सुभाष गाँव का एक चालाक कृषक था। हर वर्ष वह गेंहू की फसल उगाता था और उसे अच्छे मूल्य पर बेचता था। लेकिन इस वर्ष, उसने अपनी चतुराई का प्रदर्शन किया और अपनी आजीविका को दोगुना बनाने का निर्णय लिया।

जब वह अपनी गेंहू की फसल काट लेता था, तो उसके पास बहुत सारी भूसा बच जाती थी। पिछले वर्षों में वह यह भूसा बेकार समझकर फेंक देता था या जानवरों को खिला देता था। लेकिन इस वर्ष उसने तय किया कि वह इस भूसे का उपयोग बोरा बनाने में करेगा।

वह ने छोटी-सी मिल खरीदी और शुरू हो गए भूसे के बोरे बनाने का काम। जल्द ही, वह अपनी गेंहू से जो पैसा कमा रहा था, उससे भी ज्यादा पैसा उसके भूसे के बोरे से आने लगा।

अब सुभाष न सिर्फ अपने गेंहू से बल्कि उसके भूसे से भी अच्छा धन कमा रहे थे। गाँववाले उसकी इस चतुराई को देखकर कहते, “आम के आम गुठलियों के दाम।”

इस कहानी से हमें समझ में आता है कि सही समझ और सही उपयोग से किसी भी वस्तु का महत्व बढ़ जाता है, चाहे वह गेंहू हो या उसकी भूसा।

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of आम के आम गुठलियों के दाम – Aam ke aam guthliyon ke daam Idiom:

Introduction: Every language has idioms that help in expressing a particular situation or emotion. In the Hindi language, “Aam ke aam guthliyon ke daam” is one such idiom.

Meaning:  The phrase “Aam ke aam guthliyon ke daam” translates to reaping double benefits from a single effort. It is used when we get more than what is expected or when one action leads to multiple favorable outcomes.

Usage:

-> Aman sold his old books and also got money to buy new ones, truly an instance of “Aam ke aam guthliyon ke daam”.

-> Anita sold her old bike to buy a new one, and even managed to sell it at a higher price. Indeed, it was like “Aam ke aam guthliyon ke daam”.

Discussion: Whenever we derive maximum benefit from things or get results beyond our expectations, we can use this idiom. It signifies that the returns or benefits we have received are more than what we initially anticipated.

Conclusion: Idioms like “Aam ke aam guthliyon ke daam” teach us that sometimes we can achieve results that exceed our expectations. Using such idioms, we can express our feelings and experiences in a more impactful manner.

Story of ‌‌Aam ke aam guthliyon ke daam Idiom in English:

Subhash was a shrewd farmer from a village. Every year, he grew a crop of wheat and sold it at a good price. However, this year, he showcased his cleverness and decided to double his income.

When he harvested his wheat crop, he was left with a lot of straw (residue). In previous years, he considered this straw as waste and either discarded it or fed it to the animals. But this year, he decided to use this straw to make sacks.

He purchased a small mill and started the work of producing sacks from the straw. Soon, the money he was earning from the sacks made of straw exceeded what he was earning from the wheat.

Now, Subhash was earning well not just from his wheat but also from its residue. Seeing his smart move, the villagers would often remark, “Earning both from the mangoes and their seeds.”

This story illustrates that with the right understanding and utilization, the value of any item can be maximized, whether it’s wheat or its residue.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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