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9 नगद न 13 उधार, अर्थ, प्रयोग(9 nagad na 13 udhar)

परिचय: “9 नगद न 13 उधार” एक प्रसिद्ध हिंदी मुहावरा है, जिसे व्यावासिक जीवन में नकदी लेन-देन के महत्व को दर्शाने के लिए कहा जाता है।

अर्थ: इस मुहावरे का सीधा अर्थ है कि थोड़ी कमी से भी नकदी में समझौता करना, उधार पर ज्यादा लेने से बेहतर होता है। अर्थात्, नकदी में काम करना उधार पर काम करने से बेहतर है।

उपयोग:

-> जब सुरेंद्र अपने मित्र से पैसे उधार मांगने जा रहा था, उसका पिता ने कहा, “9 नगद न 13 उधार” और उसे कुछ पैसे दिए।

-> अनुज अक्सर अपने व्यापार में उधार पर सामग्री खरीदता था, लेकिन जब उसने यह मुहावरा सुना, वह समझ गया कि नकदी में सौदा करना कितना महत्वपूर्ण है।

विस्तार से: उधार पर काम करने में अक्सर जोखिम बढ़ जाता है। पैसे की वापसी की गारंटी नहीं होती और अक्सर ऋण जमा हो जाता है। वहीं, नकदी काम में ऐसा कोई जोखिम नहीं होता। पैसे का लेन-देन स्थायी होता है, और व्यापार में स्थिरता आती है।

निष्कर्ष: “9 नगद न 13 उधार” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि नकदी में काम करना, चाहे थोड़ा ही क्यों न हो, उधार पर काम करने से हमेशा बेहतर है। यह हमें जोखिम से दूर रखता है और हमारे व्यापार को सुरक्षित रखता है।

Hindi Muhavare Quiz

9 नगद न 13 उधार मुहावरा पर कहानी:

सुरेंद्र एक छोटे से गाँव में अपनी दुकान चलाता था। वह अपने गाँव में बहुत ही लोकप्रिय था, क्योंकि उसकी दुकान पर हर चीज मिलती थी। लेकिन उसकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वह उधार पर माल बेचता था।

विनीत, सुरेंद्र का प्रतिस्पर्धी, उसकी इस आदत पर हंसता था। वह सोचता था कि सुरेंद्र का यह तरीका उसे बर्बाद कर देगा। लेकिन सुरेंद्र विश्वास करता था कि उसके गाँववाले कभी उसे धोखा नहीं देंगे।

महीनों बीत गए, और सुरेंद्र के पास कई उधार की राशियाँ जमा हो गई। कई ग्राहक उसे पैसे वापस नहीं दे रहे थे। वह परेशान हो गया, उसकी दुकान में माल खत्म हो गया था और उसके पास नई खरीददारी के लिए पैसे भी नहीं थे।

एक दिन, जब सुरेंद्र दुकान में अपनी परेशानियों को सोच रहा था, तभी विनीत उसके पास आया और बोला, “तुम्हारी उधार की आदत ने तुम्हें बर्बाद कर दिया। अगर तुम ‘9 नगद न 13 उधार’ का मतलब समझते, तो आज यहाँ नहीं होते।”

सुरेंद्र समझ गया कि उसने अपनी अच्छाई को अपना कमजोरी बना लिया। उसने तय किया कि अब वह केवल नकदी में ही माल बेचेगा।

कुछ समय बाद, सुरेंद्र की दुकान फिर से फल-फूलने लगी। उसके पास अब कोई उधार की चिंता नहीं थी और उसने समझा कि ‘9 नगद न 13 उधार’ मुहावरे का सही मतलब क्या है।

कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि किसी भी व्यापार में नकदी में लेन-देन करना हमेशा सबसे अच्छा होता है।

शायरी:

नकदी का जादू समझा है मैंने,
‘9 नगद न 13 उधार’ की गहराई में।
ज़िंदगी के इस मेले में, भरोसा सिर्फ कमाई में।

मोहब्बत हो या व्यापार,
वादों से ज्यादा हकीकत में असर है।
कलम की स्याही से ज़्यादा,
लहू की खुद में ही लहर है।

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of 9 नगद न 13 उधार – 9 nagad na 13 udhar Idiom:

Introduction: “9 nagad na 13 udhar” is a renowned Hindi idiom used to highlight the significance of cash transactions in the business world.

Meaning: The direct interpretation of this idiom is that it’s better to settle for a little less in cash than to take more on credit. In essence, conducting business in cash is more preferable than doing so on credit.

Usage:

-> When Surendra was about to borrow money from his friend, his father advised him, “9 in cash is better than 13 on credit” and handed him some money.

-> Anuj frequently bought supplies on credit for his business, but when he heard this idiom, he understood the importance of cash transactions.

In Detail: There’s often an increased risk associated with credit transactions. There’s no guarantee of repayment, and debts often accumulate. On the other hand, there’s no such risk with cash transactions. The exchange of money is final, bringing stability to the business.

Conclusion: The idiom “9 in cash is better than 13 on credit” teaches us that it’s always better to operate in cash, even if it’s a smaller amount, rather than taking on credit. It keeps us away from risks and ensures the safety of our business.

Story of 9 nagad na 13 udhar Idiom in English:

Surendra ran a shop in a small village. He was very popular in his village because his shop had everything one could ask for. However, his unique selling proposition was that he sold goods on credit.

Vineet, Surendra’s competitor, often laughed at this habit of his. He believed that Surendra’s method would lead him to ruin. But Surendra trusted that his fellow villagers would never deceive him.

Months went by, and many debts accumulated for Surendra. Several customers weren’t repaying him. He became distressed as his shop ran out of goods, and he didn’t have the money to restock.

One day, as Surendra was pondering over his troubles in the shop, Vineet approached him and said, “Your habit of giving credit has ruined you. If you had understood the meaning of ‘9 in cash is better than 13 on credit,’ you wouldn’t be in this situation today.”

Surendra realized that he had let his goodwill become his weakness. He decided from then on to sell goods only for cash.

After a while, Surendra’s shop began to thrive again. He had no worries about unpaid debts anymore, and he truly grasped the essence of the adage, ‘9 in cash is better than 13 on credit.’

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे का कोई विशेष इतिहास है?

इस मुहावरे का उपयोग प्राचीन समय से ही होता आ रहा है। यह अर्थ लाया जाता है कि कुछ चीज़ों का भरोसा ना करना उचित हो सकता है।

यह मुहावरा किस प्रकार का है?

यह मुहावरा एक अभिव्यक्ति है जो संदेह या अस्थिरता को दर्शाता है।

क्या इस मुहावरे का कोई अन्य संबंधित मुहावरा है?

जी हां, “बाल बच्चे” एक और मुहावरा है जो समानार्थी रूप में प्रयुक्त होता है।

यह मुहावरा हमें क्या सिखाता है?

यह मुहावरा हमें यह बताता है कि किसी व्यक्ति या चीज़ पर पूरा विश्वास न करना जरूरी हो सकता है।

क्या इस मुहावरे का कोई धार्मिक संदेश है?

नहीं, यह मुहावरा धार्मिक विषयों से संबंधित नहीं है, बल्कि यह एक आम जीवन समस्या को दर्शाता है।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

यह मुहावरा अंकों पर आधारित मुहावरे पेज पर भी उपलब्ध है।

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