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गुड़ खाय गुलगुले से परहेज अर्थ, प्रयोग (Gud khaye gulgule se parhej)

परिचय: “गुड़ खाय गुलगुले से परहेज” यह हिन्दी मुहावरा उन परिस्थितियों का वर्णन करता है जहां व्यक्ति एक विशेष प्रकार की चीज़ का सेवन करता है लेकिन उसी से मिलती-जुलती दूसरी चीज़ से परहेज करता है, भले ही दोनों में बहुत कम अंतर हो। यह मुहावरा विरोधाभासी व्यवहार और अव्यवहारिक निर्णयों को उजागर करता है।

अर्थ: मुहावरे का सीधा अर्थ है कि कोई व्यक्ति गुड़ तो खाता है लेकिन गुलगुले से परहेज करता है, जबकि गुलगुले में भी गुड़ का ही उपयोग होता है। यह उस विरोधाभास को दर्शाता है जहां व्यक्ति एक समान प्रकृति की चीजों में से एक को स्वीकार करता है और दूसरे से बचता है।

प्रयोग: यह मुहावरा तब प्रयोग किया जाता है जब किसी के व्यवहार या निर्णयों में विरोधाभास या अनिर्णायकता दिखाई दे। यह उन स्थितियों में भी लागू होता है जहां लोग बिना तार्किक आधार के कुछ चीजों का चयन करते हैं और दूसरों को नकार देते हैं।

उदाहरण:

-> विकास घर पर तो मीठे से परहेज करता है लेकिन पार्टियों में मिठाई खाने से नहीं चूकता, यह सही मायने में “गुड़ खाय गुलगुले से परहेज” का उदाहरण है।

-> पारुल ऑफिस में तो ईमेल के जरिए संवाद करने की बात करती है, लेकिन जब उसे खुद जवाब देना होता है तो वह फोन का उपयोग करती है। यह “गुड़ खाय गुलगुले से परहेज” की स्थिति है।

निष्कर्ष: “गुड़ खाय गुलगुले से परहेज” मुहावरा हमें विरोधाभासी और अव्यवहारिक व्यवहार के प्रति सचेत करता है। यह हमें यह सिखाता है कि हमें अपने निर्णयों और व्यवहारों में संगति बनाए रखनी चाहिए और हमेशा तार्किक आधार पर चीजों का विश्लेषण करना चाहिए। इससे हमें अपने विचारों और कार्यों में अधिक स्पष्टता और निष्पक्षता प्राप्त हो सकती है।

गुड़ खाय गुलगुले से परहेज मुहावरा पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में मुनीश नाम का एक व्यापारी रहता था। मुनीश की मिठाइयों की दुकान थी, और वह अपनी दुकान में बेचने के लिए खुद ही सारी मिठाइयाँ बनाता था। उसकी दुकान की मिठाइयाँ इतनी स्वादिष्ट होती थीं कि दूर-दूर से लोग उन्हें खरीदने आते थे।

मुनीश को मिठाइयों से बहुत प्यार था, खासकर गुड़ से बनी मिठाइयों से। लेकिन एक बात जो सबको चकित करती थी, वह यह थी कि मुनीश गुड़ से बनी मिठाइयाँ तो खूब खाता था, लेकिन जब बात गुलगुले की आती थी, जो कि गुड़ से ही बने होते थे, तो वह उनसे परहेज करता था।

एक दिन, गाँव के एक बुजुर्ग ने मुनीश से पूछा, “मुनीश, तुम गुड़ से बनी मिठाइयाँ तो बड़े चाव से खाते हो, लेकिन गुलगुले से परहेज क्यों करते हो? आखिर गुलगुले भी तो गुड़ से ही बने होते हैं।”

मुनीश ने जवाब दिया, “मुझे नहीं पता, मैंने कभी इस बारे में सोचा ही नहीं। मुझे बस गुलगुले पसंद नहीं आते।”

बुजुर्ग ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह तो ‘गुड़ खाय गुलगुले से परहेज’ वाली बात हो गई। तुम्हें अपने विरोधाभासी व्यवहार पर गौर करना चाहिए।”

इस घटना के बाद, मुनीश ने गहराई से सोचा और समझा कि उसका व्यवहार वास्तव में विरोधाभासी था। उसने अपने विचारों को बदला और गुलगुले खाना शुरू कर दिया, जिसे उसने पाया कि वास्तव में बहुत स्वादिष्ट होता है।

इस कहानी के माध्यम से हमें सिखने को मिलता है कि कभी-कभी हम बिना किसी तार्किक कारण के कुछ चीजों से परहेज करते हैं, जो कि हमारे लिए अच्छी भी हो सकती हैं। “गुड़ खाय गुलगुले से परहेज” मुहावरा हमें अपने विरोधाभासी व्यवहार को पहचानने और उस पर विचार करने की प्रेरणा देता है।

शायरी:

गुड़ खाय के गुलगुले से करते परहेज,
ये कैसी दिल्लगी, ये कैसी साजिश।

जिंदगी की राह में ऐसे बहुत से मोड़ हैं,
कहीं खुशियाँ बिखरीं, कहीं बस शोर हैं।

इस दिल का क्या करें, जो खुद में ही उलझन है,
चाहत में गुड़ की, पर गुलगुले से दूरी का चलन है।

हमने देखा है ख्वाबों का आंगन, जहाँ हर रंग में बस तू है,
पर जब आया वक़्त साथ चलने का, तो फिर क्यों ये फासला नज़र आया तू है।

ये जो दुनिया है, सोच का बंधन है,
“गुड़ खाय गुलगुले से परहेज” यहीं तो सच का दर्पण है।

आओ छोड़ें ये विरोधाभास, चलें उस राह पर,
जहाँ हर गुलगुला और गुड़, साथ साथ हो, ना हो कोई तकरार पर।

जीवन का ये सफर है कितना अजीब,
खुद के बनाए रूल्स में ही खोजें हम राहत का नसीब।

 

गुड़ खाय गुलगुले से परहेज शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of गुड़ खाय गुलगुले से परहेज – Gud khaye gulgule se parhej Idiom:

Introduction: The Hindi idiom “गुड़ खाय गुलगुले से परहेज” describes situations where a person consumes a particular type of item but avoids another item that is very similar, even though there’s little difference between the two. This idiom highlights contradictory behavior and impractical decisions.

Meaning: The direct meaning of the idiom is that a person eats jaggery but avoids gulab jamuns, even though gulab jamuns also contain jaggery. It illustrates the contradiction where a person accepts one thing of a similar nature but avoids the other.

Usage: This idiom is used when someone’s behavior or decisions display contradictions or indecisiveness. It also applies to situations where people choose certain things without a logical basis and reject others.

Example:

-> Vikas avoids sweets at home but never misses eating them at parties, a perfect example of “eating jaggery but avoiding gulab jamuns.”

-> Parul talks about communicating via email at the office, but when she needs to respond, she uses the phone. This is a situation of “eating jaggery but avoiding gulab jamuns.”

Conclusion: The idiom “गुड़ खाय गुलगुले से परहेज” alerts us to contradictory and impractical behaviors. It teaches us to maintain consistency in our decisions and behaviors and always analyze things on a logical basis. This can bring more clarity and fairness to our thoughts and actions.

Story of ‌‌Gud khaye gulgule se parhej Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, there lived a merchant named Munish. Munish owned a sweets shop and made all the sweets himself for sale in his shop. The sweets from his shop were so delicious that people from far and wide would come to buy them.

Munish loved sweets, especially those made from jaggery. However, something that surprised everyone was that Munish would happily eat sweets made from jaggery, but when it came to gulab jamuns, which were also made from jaggery, he would avoid them.

One day, an elder from the village asked Munish, “Munish, you enjoy eating sweets made from jaggery with great relish, but why do you avoid gulab jamuns? After all, gulab jamuns are also made from jaggery.”

Munish replied, “I don’t know, I’ve never thought about it. I just don’t like gulab jamuns.”

The elder smiled and said, “This is exactly a case of ‘eating jaggery but avoiding gulab jamuns.’ You should reflect on your contradictory behavior.”

After this incident, Munish thought deeply and realized that his behavior was indeed contradictory. He changed his views and started eating gulab jamuns, finding them to be truly delicious.

This story teaches us that sometimes we avoid certain things without any logical reason, even though they might be good for us. The idiom “eating jaggery but avoiding gulab jamuns” inspires us to recognize our contradictory behavior and reflect upon it.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

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