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टके सेर भाजी, टके सेर खाजा अर्थ, प्रयोग (Takke Ser Bhaji, Takke Ser Khaja)

परिचय: हिंदी भाषा समृद्ध है अपने मुहावरों और लोकोक्तियों से, जो जीवन के विविध पहलुओं को दर्शाते हैं। “टके सेर भाजी, टके सेर खाजा” ऐसा ही एक प्रचलित मुहावरा है, जो एक गहरे सामाजिक संदेश को प्रेषित करता है।

अर्थ: इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है, एक टके की कीमत में सेर भर भाजी और सेर भर खाजा मिलना। यानी दोनों चीजों की कीमत समान होना, जो वास्तविकता में संभव नहीं है क्योंकि खाजा एक मिठाई है और भाजी एक साधारण सब्जी। इसका व्यापक अर्थ है कि जहां नेतृत्व कमजोर या मूर्खतापूर्ण होता है, वहां मूल्यों और न्याय की कमी होती है।

प्रयोग: यह मुहावरा आमतौर पर उन परिस्थितियों में प्रयोग किया जाता है जहां अन्याय और असंगति का वातावरण हो। यह उन स्थितियों को दर्शाता है जहां नेतृत्व के अभाव में सब कुछ अर्थहीन प्रतीत होता है।

उदाहरण:

मान लीजिए, एक कंपनी में नेतृत्व करने वाला व्यक्ति योग्य नहीं है, और उसके फैसले से कंपनी का माहौल खराब हो रहा है, तब हम कह सकते हैं, “इस कंपनी में तो टके सेर भाजी, टके सेर खाजा वाली बात हो रही है।”

निष्कर्ष: इस मुहावरे का महत्व यह है कि यह हमें सिखाता है कि एक अच्छे और सक्षम नेतृत्व का होना कितना जरूरी है। अगर नेतृत्व में कमजोरी है, तो इसका प्रभाव पूरे समूह या संस्था पर पड़ता है। अतः, यह मुहावरा हमें योग्य और समझदारी भरे नेतृत्व की ओर प्रेरित करता है।

Hindi Muhavare Quiz

टके सेर भाजी, टके सेर खाजा मुहावरा पर कहानी:

बहुत समय पहले, एक दूरवर्ती राज्य में ‘अनोखा’ नामक एक छोटा सा गाँव था। इस गाँव का राजा बहुत ही साधारण बुद्धि का था। उसे अपने राज्य की समृद्धि और लोगों की भलाई से ज्यादा अपने मनोरंजन और आराम में रुचि थी।

राजा के इस रवैये के कारण, गाँव में असंतुलन और अन्याय बढ़ता गया। एक बार, राजा ने एक विचित्र आदेश दिया कि गाँव की सबसे साधारण सब्जी और सबसे महंगी मिठाई दोनों की कीमत बराबर होनी चाहिए। यह सुनकर सभी व्यापारी और ग्रामीण चकित रह गए।

“टके सेर भाजी, टके सेर खाजा,” गाँव के लोगों ने कहा। इस अजीबोगरीब आदेश के कारण बाजार में भारी असंतुलन पैदा हो गया। गरीब लोग जो मिठाई का सपना भी नहीं देख सकते थे, अब उसे खरीद सकते थे। वहीं, अमीर लोगों ने भी सस्ते में मिठाई खरीदना शुरू कर दिया। लेकिन इससे गाँव के व्यापारी और किसान दोनों ही प्रभावित हुए।

धीरे-धीरे गाँव में व्यापार और कृषि दोनों ही चौपट हो गए। लोग समझ गए कि एक मूर्ख नेता के नेतृत्व में उनका गाँव बर्बाद हो रहा है। आखिरकार, गाँव के बुजुर्गों ने एक सभा बुलाई और राजा को उसकी मूर्खता का अहसास कराया।

राजा ने अपनी गलती मानी और गाँव की भलाई के लिए सही निर्णय लेने लगा। उसने विद्वानों और अनुभवी लोगों की सलाह लेनी शुरू की। धीरे-धीरे गाँव फिर से फलने-फूलने लगा।

यह कहानी हमें सिखाती है कि एक अच्छा नेतृत्व कितना महत्वपूर्ण है। एक मूर्ख नेता के कारण पूरे समुदाय का नुकसान हो सकता है। “टके सेर भाजी, टके सेर खाजा” यह मुहावरा हमें यही सिखाता है कि जहां नेतृत्व की कमी होती है, वहां सब कुछ अनर्थ हो जाता है।

शायरी:

गाँव की इस गली में, हर चीज लगती अनोखी,

“टके सेर भाजी, टके सेर खाजा”, यहाँ हर बात है बेमोल।

जहाँ राजा हो अनजान, वहां दुख का है मेला,

सच्चाई की राह में, बस झूठ का है खेला।

खुशियों की बारिश में भी, आँखें रहतीं प्यासी,

इंसाफ की तलाश में, हर दिल है उदासी।

नेता की मूर्खता से, सब कुछ हो जाता है खोखला,

“टके सेर भाजी, टके सेर खाजा”, यहाँ हर रिश्ता है बेमोल।

राहत की बातों में, जो सच का होता है जज्बा,

उसी जज्बे को लेकर, चल पड़ा हूँ मैं आज।

जिस दिन नेता होगा सच्चा, उस दिन बदलेगा ये मेला,

“टके सेर भाजी, टके सेर खाजा” की बात बनेगी अनमोल।

 

टके सेर भाजी, टके सेर खाजा शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of टके सेर भाजी, टके सेर खाजा – Takke Ser Bhaji, Takke Ser Khaja Idiom:

Introduction: The Hindi language is rich in idioms and proverbs, which reflect various aspects of life. “टके सेर भाजी, टके सेर खाजा” (Takke Ser Bhaji, Takke Ser Khaja) is one such popular proverb, conveying a deep social message.

Meaning: The literal meaning of this proverb is getting a ‘ser’ (a measure of weight) of vegetables and a ‘ser’ of ‘khaja’ (a sweet) for the same price, which is practically impossible as ‘khaja’ is a sweet and vegetables are common food items. The broader implication is that where leadership is weak or foolish, there is a lack of values and justice.

Usage: This proverb is commonly used in situations where there is an atmosphere of injustice and inconsistency. It depicts scenarios where everything seems meaningless due to the lack of effective leadership.

Example:

For instance, if a company is led by an incompetent person, and his decisions are deteriorating the company’s environment, we can say, “In this company, it’s a case of ‘Takke Ser Bhaji, Takke Ser Khaja.'”

Conclusion: The importance of this proverb is that it teaches us the necessity of good and competent leadership. If the leadership is weak, it affects the entire group or organization. Therefore, this proverb motivates us towards capable and wise leadership.

Story of ‌‌Takke Ser Bhaji, Takke Ser Khaja Idiom in English:

A long time ago, in a remote kingdom, there was a small village named ‘Anokha’. The king of this village was of very ordinary intelligence. He was more interested in his entertainment and comfort than in the prosperity of his kingdom and the welfare of his people.

Due to the king’s attitude, imbalance and injustice in the village increased. Once, the king issued a bizarre decree that the price of the village’s most common vegetable and the most expensive sweet should be the same. Hearing this, all the traders and villagers were astonished.

“People of the village said, ‘A ser of vegetables for a penny, a ser of sweets for the same,'” as this strange order caused a severe imbalance in the market. Poor people, who could not even dream of sweets, were now able to buy them. Meanwhile, the rich also started buying sweets cheaply. However, this affected both the traders and farmers of the village.

Gradually, both trade and agriculture in the village collapsed. The people realized that their village was being ruined under the leadership of a foolish leader. Eventually, the elders of the village called a meeting and made the king realize his folly.

The king acknowledged his mistake and began making right decisions for the welfare of the village. He started seeking advice from scholars and experienced people. Gradually, the village began to prosper again.

This story teaches us the importance of good leadership. A foolish leader can cause harm to the entire community. The proverb “A ser of vegetables for a penny, a ser of sweets for the same” teaches us that where there is a lack of leadership, everything turns into chaos.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे का कोई उदाहरण दे सकते हैं?

हाँ, जैसे कि उनके पास बहुत कम पैसे होने के बावजूद वह खुद को संभालकर चलते हैं, वे टके सेर भाजी, टके सेर खाजा।

क्या इस मुहावरे का कोई अन्य संबंध है?

जी हां, यह मुहावरा संघर्ष की भावना को व्यक्त करता है और एक व्यक्ति की संगठनशीलता और साहस की प्रशंसा करता है।

क्या होता है मुहावरा “टके सेर भाजी, टके सेर खाजा” का अर्थ?

इस मुहावरे का अर्थ होता है कि किसी के पास बहुत कम धन होता है, लेकिन वह उसे संभालकर चलता है।

यह मुहावरा किस प्रकार का है?

यह मुहावरा हिंदी भाषा का है और व्यावहारिक जीवन में उपयोग होता है।

क्या इस मुहावरे का कोई ऐतिहासिक परिचय है?

जी हां, यह मुहावरा भारतीय सांस्कृतिक विरासत में समृद्धि और अधिकार के विषय में है।

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