Budhimaan

Home » Hindi Muhavare » काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती, अर्थ, प्रयोग(Kath ki handi baar-baar nahi chadhti)

काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती, अर्थ, प्रयोग(Kath ki handi baar-baar nahi chadhti)

सुभाष की दुकान और आमों का बोर्ड, गाँववाले सुभाष की दुकान पर, बुजुर्ग आदमी सुभाष से बात करते हुए, ईमानदारी का प्रतीक

अर्थ: ‘काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती’ यह मुहावरा दर्शाता है कि एक ही तरीके, चाल या झूठ से किसी को बार-बार धोखा नहीं दिया जा सकता।

प्रयोग: जब किसी व्यक्ति ने किसी अन्य व्यक्ति को एक झूठ या चाल से धोखा दिया हो, और फिर उसी तरीके से उसे फिर से धोखा देने की कोशिश करे, तो उसे यह कहा जा सकता है कि “काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती”।

उदाहरण:

-> विनीत ने सुधीर को एक झूठी कहानी सुनाई और उससे पैसे ले लिए। जब वह दोबारा उसी तरह से पैसे मांगने पहुँचा, तो सुधीर ने कहा, “काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती, विनीत!”

विशेष टिप्पणी: जैसे कि काठ की एक हांडी को बार-बार गर्म नहीं किया जा सकता, वरना यह जलकर राख हो जाएगी; ठीक उसी तरह, एक ही झूठ या चाल को बार-बार प्रयोग में लाने पर लोग उस पर भरोसा नहीं करते।

निष्कर्ष: ‘काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती’ यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि बार-बार झूठ बोलने या धोखा देने से लोग हम पर भरोसा खो देते हैं। इसलिए, सत्य और ईमानदारी से काम लेना हमेशा सर्वश्रेष्ठ होता है।

काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती मुहावरा पर कहानी:

सुभाष गांव के एक छोटे से व्यापारी थे। वह सब्जी और फल बेचते थे। एक दिन, उसने एक अनूठा तरीका अपनाया। उसने अपनी दुकान पर एक बड़ा बोर्ड लगाया जिस पर लिखा था, “दुनिया की सबसे मीठे आम यहाँ मिलेंगे!”

लोगों की जिग्यासा बढ़ गई और वे सुभाष की दुकान पर आम खरीदने पहुँचे। हालांकि आम सामान्य थे, लेकिन लोगों को उसकी बड़ी बातों में आकर वह खरीद लिए।

कुछ दिनों बाद, सुभाष ने फिर से बोर्ड पर लिखा, “दुनिया की सबसे मीठे आम, अब भी यहाँ मिलेंगे!” इस बार भी कुछ लोग उसकी बातों में आकर आम खरीदे, लेकिन अधिकांश लोग समझ गए थे कि वह सिर्फ अपनी बेचारक तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है।

तीसरी बार, जब उसने फिर से वही बोर्ड लगाया, तो गाँववाले उसकी बातों में नहीं आए और उसकी दुकान पर आम बिकने बंद हो गए। एक बुजुर्ग ने उससे कहा, “सुभाष! तुम जानते हो, ‘काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती’। तुमने एक ही झूठ को बार-बार दोहराया, और अब लोग तुम्हारे झूठ पर विश्वास नहीं करते।”

सुभाष समझ गया कि वह गलती में था और उसने अपनी गलती मानते हुए उस बोर्ड को हटा दिया। वह समझ गया कि ईमानदारी ही सबसे बड़ी नीति है।

शायरी:

काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती,

जिसे दोहराया झूठ वो कमीयत में बढ़ती।

जिंदगी की राहों में सच्चाई ही रोशनी है,

जिसकी आँखों में हकीकत, वही कवि की जुबानी है।

 

काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती – Kath ki handi baar-baar nahi chadhti Idiom:

Meaning: The idiom ‘काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती’ (A wooden pot cannot be heated repeatedly) suggests that one cannot deceive someone with the same trick or lie repeatedly.

Usage: When a person has deceived another with a particular lie or trick and then tries to deceive them again using the same method, they can be told, “काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती” (You can’t use the same trick again).

Examples:

-> Vineet told Sudhir a fabricated story and took some money from him. When he approached Sudhir for money again using a similar story, Sudhir remarked, “काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती, Vineet!” (You can’t fool me with the same story again, Vineet!).

Special Note: Just as a wooden pot can’t be heated repeatedly as it will burn and turn to ashes, similarly, using the same lie or trick repeatedly will make people lose trust in it.

Conclusion: The idiom ‘काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती’ teaches us that people lose trust when lied to or deceived repeatedly. Therefore, it’s always best to act with honesty and integrity.

Story of ‌‌Kath ki handi baar-baar nahi chadhti Idiom in English:

Subhash was a small-time trader in a village. He sold fruits and vegetables. One day, he tried a unique marketing tactic. He put up a large sign at his shop that read, “The sweetest mangoes in the world available here!”

This piqued the villagers’ curiosity, and they flocked to Subhash’s shop to buy the mangoes. Although the mangoes were just ordinary, the people, swayed by his grand claim, bought them.

A few days later, Subhash put up another sign saying, “The sweetest mangoes in the world, still available here!” This time, some people still bought into his claim and purchased the mangoes, but many realized he was merely employing a sales gimmick.

On the third occasion when he displayed the same sign, the villagers didn’t fall for his words, and his mango sales stopped. An elderly man told him, “Subhash! You know, ‘a wooden pot doesn’t heat up repeatedly.’ You reiterated the same lie over and over, and now people don’t trust your falsehood.”

Realizing his mistake, Subhash removed the sign. He understood that honesty is the best policy.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

टिप्पणी करे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Budhimaan Team

Budhimaan Team

हर एक लेख बुधिमान की अनुभवी और समर्पित टीम द्वारा सोख समझकर और विस्तार से लिखा और समीक्षित किया जाता है। हमारी टीम में शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञ और अनुभवी शिक्षक शामिल हैं, जिन्होंने विद्यार्थियों को शिक्षा देने में वर्षों का समय बिताया है। हम सुनिश्चित करते हैं कि आपको हमेशा सटीक, विश्वसनीय और उपयोगी जानकारी मिले।

संबंधित पोस्ट

"टुकड़ा खाए दिल बहलाए कहावत का प्रतीकात्मक चित्र", "कपड़े फाटे घर को आए कहावत की व्याख्या वाला चित्र", "आर्थिक संघर्ष दर्शाती Budhimaan.com की छवि", "भारतीय ग्रामीण जीवन का यथार्थ चित्रण"
Kahavaten

टुकड़ा खाए दिल बहलाए, कपड़े फाटे घर को आए, अर्थ, प्रयोग(Tukda khaye dil bahlaye, Kapde fate ghar ko aaye)

“टुकड़ा खाए दिल बहलाए, कपड़े फाटे घर को आए” यह हिंदी कहावत कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन करने के संघर्ष को दर्शाती है। इस कहावत

Read More »
"टका सर्वत्र पूज्यन्ते कहावत का चित्रण", "धन और सामाजिक सम्मान का प्रतीकात्मक चित्र", "भारतीय समाज में धन का चित्रण", "हिंदी कहावतों का विश्लेषण - Budhimaan.com"
Kahavaten

टका सर्वत्र पूज्यन्ते, बिन टका टकटकायते, अर्थ, प्रयोग(Taka sarvatra pujyate, Bin taka taktakayte)

परिचय: हिंदी की यह कहावत “टका सर्वत्र पूज्यन्ते, बिन टका टकटकायते” धन के महत्व और समाज में इसके प्रभाव पर जोर देती है। यह कहावत

Read More »
"टेर-टेर के रोवे कहावत का प्रतीकात्मक चित्र", "Budhimaan.com पर व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान", "सामाजिक प्रतिष्ठा की रक्षा करती कहावत का चित्र", "हिंदी प्रवचनों की व्याख्या वाला चित्र"
Kahavaten

टेर-टेर के रोवे, अपनी लाज खोवे, अर्थ, प्रयोग(Ter-ter ke rove, Apni laj khove)

“टेर-टेर के रोवे, अपनी लाज खोवे” यह हिंदी कहावत व्यक्तिगत समस्याओं को बार-बार और सबके सामने व्यक्त करने के परिणामों को दर्शाती है। इस कहावत

Read More »
"ठग मारे अनजान कहावत का प्रतीकात्मक चित्र", "Budhimaan.com पर बनिया मारे जान कहावत का विश्लेषण", "धोखाधड़ी के विभिन्न रूप दर्शाती कहावत का चित्र", "हिंदी प्रवचनों की गहराई का चित्रण"
Kahavaten

ठग मारे अनजान, बनिया मारे जान, अर्थ, प्रयोग(Thag mare anjaan, Baniya maare jaan)

“ठग मारे अनजान, बनिया मारे जान” यह हिंदी कहावत विभिन्न प्रकार के छल-कपट की प्रकृति को दर्शाती है। इस कहावत के माध्यम से, हम यह

Read More »
"टका हो जिसके हाथ में कहावत का चित्रण", "समाज में धन की भूमिका का चित्र", "भारतीय कहावतों का चित्रात्मक प्रतिनिधित्व", "Budhimaan.com पर हिंदी कहावतों का विश्लेषण"
Kahavaten

टका हो जिसके हाथ में, वह है बड़ा जात में, अर्थ, प्रयोग(Taka ho jiske haath mein, Wah hai bada jaat mein)

“टका हो जिसके हाथ में, वह है बड़ा जात में” यह हिंदी कहावत समाज में धन के प्रभाव और उसकी महत्वपूर्णता पर प्रकाश डालती है।

Read More »
"टट्टू को कोड़ा और ताजी को इशारा कहावत का चित्रण", "बुद्धिमत्ता और मूर्खता पर आधारित हिंदी कहावत का चित्र", "Budhimaan.com पर हिंदी कहावतों की व्याख्या", "जीवन शैली और सीख का प्रतिनिधित्व करता चित्र"
Kahavaten

टट्टू को कोड़ा और ताजी को इशारा, अर्थ, प्रयोग(Tattoo ko koda aur tazi ko ishara)

“टट्टू को कोड़ा और ताजी को इशारा” यह हिंदी कहावत बुद्धिमत्ता और मूर्खता के बीच के व्यवहारिक अंतर को स्पष्ट करती है। इस कहावत के

Read More »

आजमाएं अपना ज्ञान!​

बुद्धिमान की इंटरैक्टिव क्विज़ श्रृंखला, शैक्षिक विशेषज्ञों के सहयोग से बनाई गई, आपको भारत के इतिहास और संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने ज्ञान को जांचने का अवसर देती है। पता लगाएं कि आप भारत की विविधता और समृद्धि को कितना समझते हैं।